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किसानों की उम्मीद पर कोविड बना शूल, मिट्टी में मिलाए फूल

फूल किसानों की उम्मीद पर कोविड बना शूल, मिट्टी में मिलाए फूल
लखनऊ। पिछले डेढ़ साल से कोरोना वायरस के कारण यूपी नहीं बल्कि पूरे देश की रफ्तार थम गई । जिसका साइड इफेक्ट बड़े उद्योगों के अलावा कुटीर धन्धों पर भी पड़ा। खासकर यूपी में कोविड की दूसरी लहर में लगे लॉकडाउन का एक साइड इफेक्ट जिलों में फूलों की खेती और उनके व्यवसाय से जुड़े लोगों पर साफ दिख रहा है। लॉकडाउन में बाजार बंद रहे। नतीजन, खेतों में ही फूल खराब हो गए, तो कहीं कारोबारियों के पास फूल रखे-रखे मुरझा चुके हैं। तो पहले की तरह मंदिरों में पाबंदी और शादियों में फूलों की डिमांड खत्म होने की वजह से फूलों का व्यापार ठप हो गया। हालात इस कदर हो चुक है कि, किसान फूलों को खराब होता देख अपने बागानों पर ट्रैक्ट्रर चलाकर पूरा बगीचा नष्ट करने में जुटे हैं। कोविड की दूसरी लहर में किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।
सहालग में नुकसान का डबलडोज 
कृषि विभाग की मानें तो साल में दो बार फूलों की खेती प्रमुखता से होती है। इसका पहला सीजन जनवरी से फरवरी में शुरु होता है। इसके फूल मई और जून में पूरी तरह से खिल जाते हैं। अप्रैल से जुलाई में होने वाली सहागलों में इन फूलों की डिमांड बढ़ जाती है। इसके चलते फूलों के कारोबार को पंख मिल जाते हैं। बताया पिछले डेढ़ साल से फूलों की खेती पर कोरोना वायरस का ग्रहण लग चुका है। कोविड की दूसरी लहर में सहागलों में फूलों की डिमांड थम सी गई है। लिहाजा मंडियों में फूलों के ग्राहक भी नहीं है। खरीद न होने की वजह से फूल बागानों में ही मुरझा रहे हैं।
मंदिर के बदं पड़े कपाट, कहां चढ़े फूल
राजधानी में मनकामेश्वर, हनुमान सेतु, मां चंद्रिका देवी, टड़ियन मंदिर, बुध्देश्वर, कोनेश्वर मंदिर समेत अन्य मंदिर के बाहर लगने वाली फूलों की दुकानें बंद है। पुजारियों और मंहत के मुताबिक, फूलों की सबसे दूसरी बड़ी खपत मंदिरों में होती है। प्रदेशव्यापी लॉकडाउन में मंदिरों के कपाट जल्दी से बंद हो जाते है। कपाट बंद रहने की वजह से फूलों की खपत और उनकी डिमांड खत्म हो गई है।
कोरोना संक्रमण ने मेहनत पर फेरा पानी
काकोरी के रहने वाले रामआश्रय यादव ने बताया कि पिछले डेढ़ बरस से फूलों का सीजन कोरोना संक्रमण की वजह से बबार्द हो चुका है। पांबदी के चलते फूल मंडी तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। असल में फूलों की डिमांड खत्म हो चुकी है। देशव्यापी लॉकडाउन के बाद कोविड की दूसरी लहर ने किसानों की चार महीने की मेहनत पर पानी फेर दिया है। नई फसल उगाने के लिए किसान खेतों पर ट्रैक्टर चला रहे हैं। कांकराबाद के रहने वाले अनिल सैनी ने बताया कि देशव्यापी लॉकडाउन से अब तक दस लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। मंडी में फूल बिके नहीं और खेतों में हर दिन हजारों गुलाब और गेंदे का फूल सुखने लगे है। जेहटा के रहने वाले विनोद वर्मा ने बताया कि हर साल मई -जून की सहालग पर उनके बाग से फूलों की ब्रिकी होती थी। अब ब्रिकी न होने पर फसल में पानी देने का मन नहीं करता है।

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