नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले विदेश दौरे पर पुष्प कमल दहल प्रचंड आज भारत पहुंचे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा उनका स्वागत किया। इस दौरे में भारत पीएम प्रचंड के सामने नेपाल के संविधान में मधेसी लोगों के अधिकारों और चिंताओं को लेकर अपनी बात रख सकता है। कई मामलों को देखते हुए उनका यह दौरा दोनों देशों के लिए बहम साबित हो सकता है। भारत से रिश्ते को मजबूत बनाने में यह दौरा निर्णायक साबित हो सकता है। उनके इरादे भारत से रिश्ते बेहतर करने को हैं। चार दिनों के इस दौरे पर भारत नेपाल को रेलवे लाइन बनाने में मदद की पेशकश कर सकता है। यह रेलवे लाइन पूर्वी नेपाल में मेची से पश्चिमी नेपाल में महाकाली तक बिछाई जाएगी, रेलवे लाइन के अलावा भारत और नेपाल के बीच हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट को लेकर भी बात होगी जो भारत की मदद से बनाया जाएगा।
आपको याद दिला दें कि इसके पहले नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली के कार्यकाल के दौरान भारत-नेपाल के रिश्ते ठंडे पड़ गए थे। ओली ने ऐसे समझौते भी किए थे, जिससे भारत के ऊपर नेपाल की निर्भरता कम हो सके। इस दौरे से भारत और नेपाल के बीच बनी दूरी को कम करने में सहायता मिल सकती है। भारत और नेपाल के बीच के व्यापार और आर्थिक रिश्तों के लिहाजे से भी इस दौरे की महत्ता बढ़ जाती है। ओली के कार्यकाल में नेपाल ने चीन के साथ तिब्बत से काठमांडू तक रेल नेटवर्क स्थापित किए जाने के लिए एक करार किया था. इसके अलावा पेट्रोलियम आयात के लिए भी एक समझौता हुआ था. इन घटनाओं को लेकर भारत चिंतित है।
गौरतलब हो कि भारत अब भी नेपाल का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। भारत नेपाल के लिए सबसे बड़ा डोनर, सप्लायर और ईंधन का एकमात्र स्रोत है। नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में 9000 से ज्यादा लोग मारे गए और बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ था। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता होने के बावजूद भी प्रचंड की चीन से रिश्ते को लेकर उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं जबकि इससे पहले 2008 में वो जब पहली बार नेपाल के पीएम बने थे तो पहली विदेश यात्रा के तौर पर चीन को ही चुना था।
अपने कार्यक्रम के दौरान कल प्रचंड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक बैठक होगी। इसके अलावा प्रचंड राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मोदी सरकार के मंत्रिमंडल के सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे। वह रविवार को वापस नेपाल रवाना हो जाएंगे।