पटना। बिहार में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मिल रही लापरवाही की शिकायत से राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी गुस्से में दिखाई दे रहे हैं। इस मामले को देखते हुए सीएम ने सख्त निर्देश दिए हैं कि जिस भी सरकारी कर्मचारी की काम में सुस्ती पाई जाएगी उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। सीएम ने कहा कि मुझे पता चला है कि राज्य सरकार की सात निश्चय और लोक सेवा अधिकार के कानून को लेकर सरकारी अधिकारी सही से काम नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते इन योजनाओं का लाभ बिहार की जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है।
सीएम नीतीश ने कहा कि मुझे इस बात का पता समीक्षा बैठक के दौरान चला है इसलिए काम में ढिलाई बरतने वाले अफसरों को बख्शा नहीं जाएगा। सीएम नीतीश ने ये बाते भागलपुर में समीक्षा के दौरान कही है। गौरतलब है कि बिहार में फिलहाल 53 सेवाओं को लोक सेवा अधिकारी कानून सेवाओं में शामिल किया गया है। समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने ये माना है कि बिहार में लोगों को प्रचार-प्रसार के अभाव में ये नहीं मालूम चल पा रहा है कि सरकारी सेवाओं का कानूनी अधिकार उन्हें मिला हुआ है और लोग कैसे इसको लेकर अपनी जानकारी दुरुस्त कर सकते हैं।
सीएम ने कहा कि लोग इसके अंतर्गत आने वाले कामों के लिए सांसद, विधायक के पास फरियाद लेकर जा सकते हैं। उन्होंने माना कि कुछ अधिकारियों का रवैया अभी भी ढुलमुल है। ऐसे ही अधिकारियों को चिन्हित कर उन्होंने समय से पहले सेवनिवृत्ति देने का सीएम ने आदेश दिया। भागलपुर और पूर्णिया में हुई प्रमंडलीय समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री का फोकस सात निश्चय ही रहा। उन्होंने कहा कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए तेजी से काम होगा। सीएम ने पूर्णिया में हवाई अड्डा के लिए जमीन अधिग्रहण का निर्देश दिया और जल्द ही वहां से हवाई सेवा शुरू हो जाने के संकेत दिए।