नई दिल्ली। बिहार में बहार हो नीतीश कुमार को के नारे के साथ बना गठबंधन अब टूटने और बिखरने के कगार पर आ गया है। 2015 में भाजपा के खिलाफ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन तैयार किया था। इसके बाद चुनाव में भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी लेकिन लगातार भाजपा और की केन्द्र सरकार के कई फैसलों पर नीतीश कुमार केन्द्र सरकार के साथ विपक्ष को दरकिनार कर खड़े होते रहे हैं।
जिसके चलते अब महागठबंधन के सहयोगी दलों में कई बार एक दूसरे पर सख्त और तल्ख तेवर दिखा दिए हैं। इसके बाद अब भाजपा इस गठबंधन की गांठ खुलने का इंतजार कर रही है। इसी इंतजार के चलते भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के नसीहत तक दे डाली उन्होने कहा कि नीतीश कुमार पूरी जिन्दगी लोहिया और जेपी के सिद्धान्तों पर चलते हुए कांग्रेस से लड़ते रहे । अब वक्त आ गया है कि नीतीश कुमार को अपने सम्बन्धों पर समीक्षा करने चाहिए।
उन्होने इसके साथ ही नीतीश कुमार के कांग्रेस को लेकर दिए गये बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि कांग्रेस जैसी पार्टी की कोई सिद्धान्त नहीं है। कांग्रेस लगातार अपनी नीतियों को अपने लाभ के लिए तिलांजलि देती जा रही है। ऐसी पार्टी से नीतीश कुमार को सीख लेने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि कांग्रेस जिस गांधी विचार धारा की बात करती है। उसे तो उसने पहले ही छोड़ दिया है। इस बात का अनुमान तो खुद गांधी जी को भी था। कांग्रेस ने केवल आजादी पाने और उसके बाद सत्ता पाने के लिए गांधी का सहारा लिया था।
ये कांग्रेस ही थी जिसने लोकतंत्र का गला घोटते हुए जेपी जैसे नेताओं को जेल भेज दिया था। कांग्रेस ही थी जिसने आपालकाल लगाया था। कांग्रेस ने अपने हित को साधने के लिए देश के सभी विचारकों और समाजवादी नेताओं को जेल भेज दिया था जेपी के साथ नीतीश को भी जेल की वो यातना झेलनी पड़ी थी। महागठबंधन में रहते हुए कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने नीतीश कुमार पर जिस तरह की टिप्पणी की है उसे कोई नेता बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए नीतीश कुमार का कहना सही है कि उन्हें कांग्रेस से सीख लेने की जरूरत नहीं है।