लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को तोड़कर रख दिया है। अमेरिका और ब्राजील को छोड़ दे तो सबसे ज्यादा मौते भारत में हुई है। कोरोना से लड़ते हुए हमारे कई डॉक्टर्स ने जान गवाई है पर हार नहीं मानी, ऐसे में दिन रात लड़ते कोरोना वारियर्स को हर कोई उनके काम और जब्जे के लिए सलाम कर रहा है। लखनऊ के महिलाबाद के मैंगो मैन कहे जाने वाले पद्मश्री हाजी कलीमुल्लाह खां ने अपने अंदाज में कोरोना वारियर्स को सलाम किया है। मैगों मैन ने आम की नई प्रजाति को कोरोना वारियर्स को समर्पित किया हैं। कलीमुल्लाह खां ने इस नई प्रजाती को नाम दिया है ‘डॉक्टर आम’।
कोरोना वारियर्स को नहीं भूलेगा देश
हाजी कलीमुल्लाह ने आम की नई प्रजाति को कोरोना वॉरियर्स को समर्पित किया है। कलीमुल्लाह का मानना है कि कोरोना एक दिन खत्म हो जाएगा लेकिन कोरोना वायरस से लड़ते हमारे डॉक्टर को इस नई प्रजाति के नाम से लम्बे समय तक याद रखा जाएगा।
कोरोना वारियर्स को सम्मान देना हमारा फर्ज
हाजी कलीमुल्लाह खां ने महिलाबाद के अपने बाग में दशहरी आम की एक नई प्रजाति तैयार की है। इस नई प्रजाति को ‘डॉक्टर आम’ नाम दिया है। कलीमुल्लाह का मानना है इस मुश्किल दौर में डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की मदद कर रहे है तो हमारा भी फर्ज है कि हम भी अपने स्तर से देश के इन योद्धाओं को सम्मान दे।
कोरोना वारियर्स को छोटी भेंट
कोरोना काल में पैरामेडिकल, नर्सिंग स्टाफ और अन्य मेडिकल कर्मियों के काम और जब्जे की जितनी सराहना की जाए वह कम है। आम की नई प्रजाति का नाम हमारी तरफ से कोरोना वारियर्स को एक छोटी सी भेट है जिसका मूल्य उनके काम के आगे कुछ भी नहीं है।
कौन है हाजी कलीमुल्लाह
दशहरी आम के नाम से मशहूर महिलाबाद में हाजी कलीमुल्लाह ने 300 ज्यादा आम की प्रजाति तैयार की है। इन नई प्रजातियों के नाम बडे-बडे नेताओं क्रिकेटर और सिलेब्रिटी के नाम पर तैयार किए है। हाजी कलीमुल्लाह खां लखनऊ के महिबाद में 1957 से आम की खेती कर रहे है। कलीमुल्लाह का आम का बाग 5 एकड में फैला है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनको उद्यान पंडित की उपाधि से भी नवाजा है।