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पुण्यतिथिः देश की आजादी के लिए ठुकरा दी थी ICS की नौकरी, जानिए नेताजी से जुड़ी खास बातें

पुण्यतिथिः देश की आजादी के लिए ठुकरा दी थी ICS की नौकरी, जानिए नेताजी से जुड़ी खास बातें

लखनऊः 18 अगस्त दिन बुधवार आज पूरा देश आजादी के महान नायक रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि मना रहा है। फिलहाल आजाद हिंद फौज के आजाद सिपाही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत आज भी एक रहस्य बनकर सिमटी हुई है।

जीवन परिचय

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1987 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे बोस वर्ष 1918 में दर्शनशास्त्र में बीए पास किया था। सुभाष चंद्र बोस के पिता चाहते थे कि सुभाष आईसीएस बनें, जिसके बाद अपने पिता की आईसीएस बनने की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने 1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया।

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आजादी के लिए ठुकरा दी नौकरी

मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन रहकर काम करने का नहीं था। अंग्रेजो के खिलाफ भारत देश में आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में चौथी रैंक पाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय सिविल सेवा की नौकरी को 22 अप्रैल 1921 को इस्तीफा दे दिया।

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जलियांवाला बाग हत्याकांड से विचलित हुए नेताजी

साल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड में भारी संख्या में लोगों की मौत देख नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस कदर विचलित हुए कि, वे अंग्रेजो के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई में अपने जिंदगी का परवाह किए बिना पूरे जी-जान से कूद पड़े। उन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया।

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11 बार हुई जेल की सजा

आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों ने 1921 से 1941 के बीच भारत के अलग-अलग जेलों में 11 बार कैद में रखा। जहां 1941 मे नेताजी को एक घर में बंद करके रखा गया था, जहां से वे मौका पाते ही भाग निकले।

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हिटलर से मिले सुभाष

वहां से निकलने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस कार के माध्यम से कोलकाता के रास्ते गोमो के लिए रवाना हुए। वहां पहुंचने के बाद नेताजी ट्रेन का सफर करते हुए पेशावर के लिए निकले। पेशावर पहुंचने के बाद यहां से नेताजी काबुल पहुंचे और फिर काबुल से सीधे जर्मनी के लिए रवाना हुए, जहां उनकी मुलाकात उस वक्त के तानाशाह अडॉल्फ हिटलर से हुई।

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आजाद हिंद रेडियो की स्थापना

आजाद हिंद रेडियो की स्थापना वर्ष 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में जर्मनी में किया गया। इस रेडियो का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को अंग्रेजों से स्वतंत्रता पाने के लिए उनसे संघर्ष करने के लिए प्रचार प्रसार करना था।

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फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना

फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना वर्ष 1942 में भारतीय स्वतंत्रता के लिए बर्लिन मैं रहते हुए आजाद हिंद का आंदोलन कर रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में किया गया।

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दो बार बने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष

साल 1938 में हरिपुरा में हुए कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पहली बार राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुना था। जिसके बाद साल 1939 में कांग्रेस सम्मेलन के दौरान गांधी जी द्वारा प्रस्तावित कांग्रेस के अध्यक्ष पद मे पट्टाभि सीतारमैया से अधिक समर्थन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मिला जिसके बाद नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष के लिए दोबारा चुना गया।

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फारवर्ड ब्लाक संगठन का गठन

कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन के बाद कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 22 जून 1939 में कांग्रेस को जनता की स्वतंत्र होने की इच्छा लोकतंत्र और क्रांति का प्रतीक बनाने के लिए कांग्रेस के भीतर ही फॉरवर्ड ब्लॉक नामक संगठन का गठन किया।

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आजाद हिंद फौज में थे 85 हजार सैनिक

21 अक्टूबर 1943 मे जर्मनी में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने के लिए नेता जी द्वारा बनाए गए आजाद हिंद फौज में करीब 85000 सैनिक शामिल थे l नेताजी के इस फौज में एक महिला यूनिट भी तैनात थी। जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के जिम्मे थी।

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नेताजी के मृत्यु आज भी रहस्य

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। फिलहाल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु आज भी एक रहस्य है, क्योंकि इनके मृत्यु की पुष्टि आज तक  नहीं हो सकी है। क्योंकि भारत से लेकर विदेशों तक लोग आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में रहस्यमई बातें बताते हैं। लोगों का आज भी ऐसा मानना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।

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