नई दिल्ली। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को अपनी पुरानी तंबाकू और सुपारी खाने की आदत पर आज भी पछतावा है। उन्होंने कहा कि काश किसी ने 40 साल पहले इस आदत पर चेताया होता तो आज उन्हें मुंह का कैंसर नहीं हुआ होता। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने ये बातें रविवार को भारतीय दंत संगठन के कार्यक्रम ‘2022 तक मुख के कैंसर से मुक्ति मिशन’ की शुरुआत के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि “ये कष्टदायक है कि लाखों भारतीय अब भी मुख कैंसर के संकट में फंसते हैं। यह मुद्दा हम संसद में उठाएंगे। आज तक इस बात पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
बता दें कि उन्होंने आगे कहा कि मुंह के कैंसर से मैं आज सोमवार उबर चुका हूं लेकिन आज भी मुझे अपनी पुरानी आदत पर पछतावा है। मेरी सर्जरी हुई और दांत उखाड़े गए तो बहुत परेशानी हुई। मैं मुंह तक नहीं खोल पाता था। यहां तक कि खाना निगलने और बात करने में भी दिक्कतें हुईं। इस मिशन के बारे में IDA सेक्रेटरी डॉक्टर अशोक ढोबले ने बताया कि हमने 2,000 से ज्यादा तंबाकू मुक्ति केंद्र काउंसलिंग के लिए खोले हैं। आने वाले समय में हम 5 हजार से ज्यादा क्लीनिक खोलेंगे ताकि मुंह के कैंसर से लोगों को मुक्ति दिलाई जा सके।
वहीं दुनिया के 86 प्रतिशत ओरल कैंसर पेशेंट्स भारत में है। इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को कैंसर केवल गुटखा और तंबाकू खाने की वजह से हुआ है। हर साल भारत में एक लाख नए मुंह के कैंसर के मरीज आते हैं। इनमें से 50 प्रतिशत लोग ही जिंदा बच पाते हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि भारत में करीब 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 4 खरब रुपये मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीजों पर खर्च होते हैं। यही नहीं, 30 प्रतिशत लोग इसमें 35 से कम उम्र के होते हैं।