नई दिल्ली – कोरोना काल के बीच नवरात्रि बड़े ही सादगी से मनाई जा रही है। आज नवरात्रि का पांचवा दिन है। आज के दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आज के दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना की जाती है। इनकी उपासना से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कन्द कुमार, यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता हैं वे यदि इस दिन स्कंदमाता की पूजा करते हैं तो वृहस्पति की अशुभता दूर होती है। साथ ही बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। वृहस्पति ग्रह शिक्षा, उच्चपद और मान सम्मान का कारक है। नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्दमाता शेर पर सवार होकर आती हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही परम सुख की प्राप्ति मिलती है।
पूजा विधि –
आज के दिन स्नानादि कर सभी कार्यों से निवृत्त हो जाए। फिर मां का स्मरण करें। इसके बाद स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें। फिर पान, सुपारी, कमलगट्टा, बताशा, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाया जाता है। मां की आरती करें। माना जाता है कि अगर स्कंदमाता की पूजा की जाए तो भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न हो जाते हैं।
मंत्र –
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या फिर
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
पुराणों के अनुसार, भगवान स्कंद के बालरूप को माता अपनी दाई तरफ की ऊपर वाली भुजा से गोद में बैठा हुए है। स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं।