चुनाव से पहले सार्वजनिक धन और मुफ्त उपहार देने के वादे एवं वितरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को लेकर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता की क्या है मांग
याचिकाकर्ता का मानना है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन व मुफ्त उपहार के वादे एवं वितरण एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जड़ों को हिला देते हैं जिससे चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता भंग हो जाती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विन उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि चुनाव से पहले जनता के धन से अतार्किक मुफ्त वादा या वितरण का वादा संविधान के अनुच्छेद 14, 162, 266 (3) और 282 का उल्लंघन करता है, खासकर तब, जब यह सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र से मांगा जवाब
याचिकाकर्ता की इस दलील को सुनकर न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग से इसको लेकर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में देना होगा।