बुधवार के दिन देश ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया है जिसने देश के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया था। सैनिक से लेकर CDS तक हर जिम्मेदारी को इतनी बखूबी से निभाया की दुश्मन भी उनके शौर्य का लौहा मानता था।
नहीं रहे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत
बुधवार के दिन देश ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया है जिसने देश के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया था। सैनिक से लेकर CDS तक हर जिम्मेदारी को इतनी बखूबी से निभाया की दुश्मन भी उनके शौर्य का लौहा मानता था। तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। इसमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का भी निधन हो गया।
बिपिन रावत: 1978 से 2021 तक
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 16 मार्च 1958 को बिपिन रावत का जन्म हुआ था। बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत, जिन्हें हम जनरल बिपिन रावत के नाम से जानते हैं। वो भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे। रावत ने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में करियर की शुरुआत की थी। वे 1978 से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर ‘से सम्मानित किया गया था।
जिस यूनिट में रहे पिता उसी में पोस्ट हुए बिपिन रावत
बिपिन रावत के पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था। चौहान राजपूत परिवार में जन्मे बिपिन रावत के पूर्वज हरिद्वार जिले के मायापुर से आकर गढ़वाल के परसई गांव में बसे थे। जिस कारण परसारा रावत कहलाए। इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए। खास बात यह है कि रावत उसी यूनिट (11 गोरखा राइफल्स) में पोस्ट हुए थे, जिसमें उनके पिता भी रह चुके थे। बिपिन रावत वे फोर्ट लीवनवर्थ, अमेरिका में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ की ओर से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया।
सेना के इन बड़े पदों की बखूबी संभाली जिम्मेदारी
जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र, और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव है। उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री बटालियन की कमान संभाली है। रावत दिसंबर 1978 में कमीशन ऑफिसर बने थे। रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी। इसके साथ ही वे ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ सदर्न कमांड, जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी एंड डिप्टी मिलिट्री सेक्रेटरी, कमांडर यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स मल्टीनेशनल ब्रिगेड, वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, आर्मी चीफ, सीनियर इंस्ट्रक्टर इन जूनियर कमांड विंग, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रहे।
अपने शौर्य के बल पर कई सम्मान किए हासिल
अपने इस सफर में रावत ने कई सम्मान हासिल किए। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को 2019 में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। वे 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहने वाले थे। इस पद को बनाने का मकसद यह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सही तरीके से और इफेक्टिव कोऑर्डिनेशन किया जा सके।
गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे सेना प्रमुख
रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे अफसर थे जो भारतीय सेना प्रमुख बनें। रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव था।