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देशभक्ति से ओत-प्रोत है अमृत महोत्सव कार्यक्रम, शहरों से गांवों तक जग रही राष्ट्रवाद की अलख!

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आजादी का अमृत महोत्सव शहरों से लेकर गांवों तक लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जगा रहा है। तिरंगा यात्रा, बाइक रैली, गोष्ठियां, वंदेमातरम गायन और भारत माता पूजन के कार्यक्रम हो रहे हैं।

Amrit Mahotsav of Independence will also be celebrated at village level in  Haryana

देशभक्ति से ओत प्रोत है अमृत महोत्सव कार्यक्रम

लखनऊ: आजादी का अमृत महोत्सव शहरों से लेकर गांवों तक लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जगा रहा है। तिरंगा यात्रा, बाइक रैली, गोष्ठियां, वंदेमातरम गायन और भारत माता पूजन के कार्यक्रम हो रहे हैं। कानपुर में 74, अवध में 117, काशी में 161 और गोरक्ष प्रांत में 426 रथ यात्राएं निकाली गई हैं। इन चारों प्रांतों में करीब साढ़े पांच हजार कार्यकर्ता रोजाना छह से आठ घंटे राष्ट्रवाद की अलख जगा रहे हैं।

15 अगस्त 2022 तक मनाया जा रहा अमृत महोत्सव

आजादी का अमृत महोत्सव देशभर में 15 अगस्त 2022 तक मनाया जा रहा है। अमृत महोत्सव आयोजन समिति के माध्यम से प्रदेश में भी विभिन्न कार्यक्रम हो रहे हैं। महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन 19 नवंबर से 16 दिसंबर (1971 के युद्ध का विजय दिवस) तक विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भारत माता पूजन, वन्देमातरम गायन, तिरंगा यात्रा, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से समाज के बलिदानी वीरों की जानकारी, इंटर और डिग्री कालेजों में प्रतियोगिताओं और विचार गोष्ठियां के माध्यम से दी जा रही हैं। देशभक्ति से ओत प्रोत अमृत महोत्सव के कार्यक्रम जिला, खंड, नगर, न्याय पंचायत, बस्ती और ग्राम पंचायत स्तर पर किए जा रहे हैं। इनमें समाजसेवी, सेवानिवृत्त अधिकारी और समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोग आयोजन में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

कई शहरों में बड़े-बड़े कार्यक्रम होंगे आयोजित

अवध प्रान्त आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एमएल भट्ट ने बताया कि अगले साल 15 अगस्त तक अमृत महोत्सव के तहत कई शहरों में बड़े-बड़े कार्यक्रम होंगे। इसमें सामूहिक वंदेमातरम गायन और गोष्ठियां समेत कई अन्य कार्यक्रम शामिल हैं। कार्यक्रमों में समाज के प्रबुद्ध वर्गों के लोगों की सहभागिता होगी।

इसलिए मनाया जा रहा महोत्सव

आजादी के पहले अंग्रेज इतिहासकारों ने बहुत सारे मिथक सामने रखे, जिस कारण समाज में जो विमर्श बना वह अत्यंत भ्रामक और असत्य है। हमें सही इतिहास समाज के सामने लाना चाहिए। अगस्त 1947 को जब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई, तो विश्व की प्राचीनतम सभ्यता नए रूप में सामने आई। प्रकृति निर्मित अखंडित भूमि की स्वतंत्रता खंडित शासन व्यवस्था के साथ अस्तित्व में आई। स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का यह साल हमारे लिए सिंहावलोकन का अवसर है।

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