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जानें क्या होती है राष्ट्रीय आपदा और इसमें कैसे मिलती है मदद

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जोशीमठ में इन दिनों संकट छाया हुआ है । लगातार हो रहे भू-धंसाव के कारण यहां की सड़कों एवं इमारतों में आई दरारें चौड़ी होती जा रही हैं।

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शहर के सैंकड़ों मकानों को खाली कराया जा चुका है। खतरनाक भवनों को गिराने का काम जारी है। अभी तक 800 से अधिक घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। इस भयावह संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग हो रही है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं, जिस पर आज सुनवाई भी होनी है।

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राष्ट्रीय आपदा को समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आपदा क्या होता है। आपदा प्रबंधन अधिनियम,2005 के मुताबिक, आपदा का मतलब होता है किसी भी इलाके में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से, या दुर्घटना या उपेक्षा की वजह से आई ऐसी कोई महाविपत्ति, अनिष्ट, तबाही आदि जिससे मानव जीवन की भारी हानि या संपत्ति को भारी नुकसान और विनाश, या पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचे और यह इतने बड़े पैमाने पर हो कि जिससे स्थानीय समुदाय के लिए निपटना संभव न हो।

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आपदा को भी दो वर्गों में बांटा गया है – प्राकृतिक आपदा और मानव जनित आपदा। भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, लू आदि को प्राकृतिक आपदा माना जाता है, जबकि परमाणु, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को मानव जनित आपदा माना जाता है।

क्या होती है राष्ट्रीय आपदा ?

10वें वित्त आयोग (1995-2000) के समक्ष रखे गए एक प्रस्ताव के मुताबिक, एक आपदा को राष्ट्रीय आपदा तब कहा जाता है, जब यह राज्य की एक तिहाई – आबादी को प्रभावित करती है। आयोग ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।

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ऐसे मिलती है मदद

राष्ट्रीय आपदा घोषित होने पर राज्य को केंद्र से सहयोग मिलता है। केंद्र सरकार नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की अतिरिक्त सहायता भेजती है। एक आपदा राहत कोष (सीआरएफ) का गठन किया जाता है और इसमें जमा पैसे को केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के अनुपात में साझा किया जाता है। फंड में जमा रकम अगर जरूरत से कम होती है तो केंद्र के 100 फीसदी फंडिंग वाले राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक फंड (एनसीसीएफ) से अतिरिक्त सहायता दी जाती है। आपदा से प्रभावित लोगों से लोन वसूली में माफी या रियायत दरों पर नए लोन की व्यवस्था की जाती है।

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