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चार धाम यात्रा शुरू, जानें किन नियमों का करना होगा पालन

चारधाम यात्रा

चार धाम यात्रा को मंजूरी मिलने के बाद आज से यानी 18 सितंबर 2021 से चार धाम यात्रा एक बार फिर से शुरू हो गई। जिस के संबंध में उत्तराखंड प्रशासन ने SOP के क्रम में महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिनका पालन करना जरूरी है। 

प्रवेश और पंजीकरण

सभी श्रद्धालुओं/यात्रियों, आवासीय व्यवस्था संचालकों एवं अन्य हितग्राहियों के द्वारा COVID प्रोटोकॉल और COVID उपर्युक्त व्यवहार का पालन करना होगा। 

उत्तराखंड देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल (http://smartcitydehradun.uk.gov.in) पर राज्य के बाहर से प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।

उत्तराखंड राज्य के भीतर के व्यक्तियों को उत्तराखंड देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल (http://smartcitydehradn.uk.gov.in) पर पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।

उत्तराखंड चार देवस्थानम बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से चार धाम मंदिर की यात्रा के दौरान चार धाम मंदिर में दर्शन के लिए अनिवार्य यात्रा ई-पास (https://devasthanam.uk.gov.in & https://badrinath-kedarnath.gov.in) से निर्गत किया जा सकेगा। 

सभी तीर्थयात्रियों द्वारा COVID वेक्सीन की दोनों डोज लगाने के 15 दिन के उपरान्त प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही चार धाम यात्रा की अनुमति प्रदान की जा सकेगी। यदि यात्री द्वारा COVID वेक्सीन की 01 अथवा कोई डोज नहीं लगवायी गयी हो, ऐसे यात्रियों को यात्रा तिथि से अधिकतम 72 घंटे पूर्व की RTPCR/ TrueNat /CBNAAT/RAT COVID नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही दर्शन के लिए ई-पास निर्गत किया जायेगा। केरल, महाराष्ट्र एवं आन्ध्रप्रदेश से आने वाले यात्रियों द्वारा COVID वेक्सीन की दोनों डोज लगाये जाने के उपरान्त भी यात्रा तिथि से अधिकतम 72 घंटे पूर्व की RTPCR/TrueNat/CBNAAT/RAT COVID नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही दर्शन के लिए ई-पास निर्गत किया जायेगा। किसी भी यात्री को राज्य के अंदर किसी भी जांच बिंदु पर बुनियादी जांच के दौरान संक्रमित पाया जाता है तो उन्हें COVID-19 परीक्षण हेतु नामित परीक्षण केंद्रों/अस्पतालों में COVID-19 परीक्षण (RT&PCR/ रैपिड एंटीजन/TruNat परीक्षण) के लिए भेजा जाएगा। पॉजिटिव पाए जाने पर, लक्षणों की गंभीरता और MOHFW प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें CCC/DCHC, DCH के लिए रेफर किया जाएगा। 

श्री बद्रीनाथ धाम पंजीकरण प्रकिया__

उत्तराखंड चार देवस्थानम बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से मंदिर की यात्रा के दौरान मंदिर में दर्शन के लिए अनिवार्य यात्रा ई-पास  (https://devasthanam.uk.gov.in & https://badrinath-kedarnath.gov.in)  

सभी तीर्थयात्रियों यात्रियों द्वारा COVID वेक्सीन की दोनों डोज लगाने के 15 दिन के उपरान्त प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही चार धाम यात्रा की अनुमति प्रदान की जा सकेगी। यदि यात्री द्वारा COVID वेक्सीन की 01 अथवा कोई डोज नहीं लगवायी गयी हो, ऐसे यात्रियों को अधिकतम 72 घंटे पूर्व की RTPCR/ TrueNat /CBNAAT/RAT COVID नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही दर्शन के लिए ई-पास निर्गत किया जायेगा। 

केरल, महाराष्ट्र एवं आन्ध्रप्रदेश से आने वाले यात्रियों द्वारा COVID वेक्सीन की दोनों डोज लगाये जाने के उपरान्त भी अधिकतम 72 घंटे पूर्व की RTPCR/ TrueNat/CBNAAT/RAT COVID नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही दर्शन के लिए ई-पास निर्गत किया जायेगा। 

यात्रा पंजीकरण प्रमाण पत्र बनाते समय अपलोड किए गए दस्तावेजों को यात्रा के दौरान मूल रूप में यात्रियों को अपने पास सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा।

एक यात्रा पंजीकरण प्रमाण पत्र पर अधिकतम 6 श्रद्धालु /यात्री दर्शन करने हेतु अनुमन्य होगे। यात्रा पंजीकरण प्रमाण पत्र की अधिकतम वैधता दो दिनों के लिए होगी। दिनों की गणना उस तिथि से की जाएगी जिस तिथि के लिए मन्दिर में दर्शन हेतु यात्रा पंजीकरण प्रमाण पत्र में दिनांक अंकित किया गया हो। यात्रा पंजीकरण प्रमाण पत्र केवल मन्दिर में दर्शन के लिए प्रयुक्त किया जायेगा। 

धामों की COVID वहन क्षमता

सामाजिक दूरी के मानदंडों (6 फीट) और धाम के दैनिक खुलने के समय को ध्यान में रखते हुए मंदिर में सभा मंडप की आवास क्षमता के आधार पर, प्रत्येक धाम के लिए एक COVID वहन क्षमता चार धाम देवस्थानम बोर्ड द्वारा निर्धारित की गई है, जो निम्नानुसार है

  • बद्रीनाथ धामः 1000, • केदारनाथ धामः 800 • गंगोत्री धामः 600 • यमुनोत्री धामः 400

चार धाम यात्रा मार्ग एवं धामों में आवासीय सुविधाओं हेतु दिशा-निर्देश

  1. श्रद्धालु/पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे होटल/धर्मशाला /आश्रम/होमस्टे / गेस्ट हाउस/पी0जी0 या अन्य पंजीकृत आवासीय सुविधा में प्रवास करें तथा चैक इन के समय अनावश्यक भीड़-भाड़ से बचने हेतु प्री-बुकिंग कर लें। रिश्तेदार/मित्र के घर पर रूकने से बचने की सलाह दी जाती है।
  2. आवासीय सुविधाओं में कार्यरत सभी कर्मचारी वैक्सिनेटेड होने आवश्यक हैं। 
  3. आवासीय सुविधाओं को अपने प्रवेश स्थल पर बेसिक स्क्रीनिंग (सेनिटाइजर/थर्मल स्केनर) करना आवश्यक होगा। उन्हें यात्रियों के मोबाइल पर आरोग्य सेतु एप इंस्टॉल करवाना आवश्यक होगा। 
  4. आवासीय सुविधा के प्रमुख स्थलों पर महत्वपूर्ण दूरभाष नम्बर यथा कन्ट्रोल रूम नं0, नजदीकी कोविड केयर सेन्टर का नं0, देवस्थानम् बोर्ड का नम्बर एवं हेल्पलाइन नम्बर आदि प्रदर्शित करने होंगे।
  5. सामान को कक्षों तक पंहचाने से पूर्व सेनिटाइज किया जाना आवश्यक होगा।
  6. सहरूग्णता वाले यात्रियों के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। 
  7. आवासीय सुविधा में कार्यरत् कर्मचारियों को कार्य करते समय मास्क, ग्लब्स पहनने आवश्यक हैं तथा आपस में व यात्रियों से सोशल डिस्टेसिंग बनानी आवश्यक होगी।
  8. आवासीय व्यवस्था द्वारा अपने कर्मचारियों तथा अतिथियों के लिए समुचित पर्सनल प्रोटेक्शन गियर यथा फेस कवर/मास्क, ग्लब्स तथा सेनिटाइजर की व्यवस्था की जानी आवश्यक होगी।
  9. पर्यटकों/ श्रद्धालुओं द्वारा प्रत्येक समय मास्क / फेस कवर का उपयोग किया जाना अनिवार्य है।
  10. आवासीय व्यवस्था द्वारा जिम, स्विमिंग पूल आदि को तब तक नहीं खोला जाएगा, जब तक कि जिला प्रशासन से अनुमति प्राप्त नहीं की जाती है। 
  11. आवासीय व्यवस्था परिसर में समुचित भीड़ प्रबन्धन की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें सोशल डिस्टेसिंग नियमों का पालन किया जाएगा। 
  12. आवासीय व्यवस्था में बार-बार हाथ धोने को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा जहां भी सम्भव हो एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर रखे जाने आवश्यक होंगे। 
  13. आवासीय व्यवस्था के स्वामी द्वारा आवश्यकतानुसार पर्यटक/ श्रद्धालु को सहयोग प्रदान किया जाएगा। 
  14. आवासीय व्यवस्था द्वारा कमरों, लॉबी, रेस्टोरेन्ट आदि को लगातार सेनिटाइज किया जाएगा। टॉयलेट, पेयजल तथा हैण्ड वाशिंग एरिया को अनिवार्य तथा प्रभावी रूप से लगातार सेनिटाइज किया जाएगा। 
  15. गेस्ट सर्विस एरिया तथा कॉमन एरिया के ऐसे स्थान जिन्हे लगातार छुआ जाता है जैसे डोर नॉब, एलिवेटर बटन, हैण्डरेल्स्, बैन्च, वॉश रूम फिक्चर आदि की सफाई सैनिटाईजेशन मानकों के अनुरूप की जाएगी।
  16. प्रयोग किये गये फेस मास्क, फेस कवर, ग्लब्स के समुचित निस्तारण की व्यवस्था की जानी अनिवार्य होगी। 
  17. किचन को अनिवार्य रूप से लगातार सेनिटाइज किया जाएगा। 
  18. किचन में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा फिजीकल डिस्टेसिंग मानकों का पालन किया जाएगा। 
  19. बुफे सर्विस के दौरान अतिथियों द्वारा फिजीकल डिस्टेसिंग मानकों का पालन किया जाएगा।
  20. डाइन-इन के स्थान पर रूम सर्विस तथा टेक अवे को प्रोत्साहित किया जाएगा। 
  21. आवासीय व्यवस्था स्वामी द्वारा कान्टेक्टलैस प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा जैसे ऑनलाइन फार्म, QR code, डिजीटल पेमेन्ट आदि। 
  22. चेक आउट के समय होटल द्वारा यात्री/अतिथि के गन्तव्य /आवासीय व्यवस्था का पूरा पता रजिस्टर में अंकित किया जाएगा। 
  23. यात्री द्वारा चेक आउट के पश्चात् कमरा तथा सर्विस एरिया को सेनिटाइज किया जाएगा। 
  24. आवासीय परिसर में कोविड संदिग्ध/ कन्फर्म केस पाए जाने पर: • रूग्ण व्यक्ति को आइसोलेटेड कमरे में रखा जाएगा। • उन्हें मास्क / फेस कवर प्रयोग करने हेतु दिया जाएगा। तत्काल नजदीकी हॉस्पिटल/ क्लीनिक या राज्य अथवा जिला हेल्पलाइन को सूचित किया जाएगा। • डेजिग्नेटेड पब्लिक हैल्थ ऑथोरिटी (MRP/FMR/SAD) द्वारा रिस्क एसेसमेन्ट किया जाएगा, तदनुसार कान्टेक्ट ट्रेसिंग, डिसइनफेक्शन, तथा सम्बन्धित केस का प्रबन्धन किया जाएगा। 

चार धाम यात्रा मार्ग एवं धामों में स्थित फूड कोर्ट/ रेस्टोरेन्ट/ ढाबों हेतु दिशा-निर्देश

  • रेस्टोरेन्ट/ ढाबा / फूड कोर्ट द्वारा प्रवेश द्वार पर अतिथियों की बेसिक स्क्रीनिंग की जाएगी। गेट पर सेनिटाइजर तथा थर्मल स्केनिंग मशीन प्रयोग की जाएगी।
  • कोविड-19 से बचाव सम्बन्धी सूचनाएं यथा कन्ट्रोल रूम नं0, नजदीकी कोविड केयर सेन्टर का नं0, देवस्थानम् बोर्ड का नम्बर एवं हेल्पलाइन नम्बर आदि प्रदर्शित करने होंगे।
  • आवश्यकता होने पर यात्री/अतिथि को पेमेन्ट बेस पर मास्क उपलब्ध कराया जाना आवश्यक होगा। 
  • बन्द एरिया के भीतर बैठने की व्यवस्था सोशल डिस्टेसिंग नियमों के तहत की जाएगी। बैठने हेतु प्रयुक्त फर्नीचर आदि को नियमित रूप से सेनिटाइज किया जाएगा।
  • डिस्पोजेबल मेन्यू कार्ड को प्रोत्साहित किया जाएगा, कपड़े के स्थान पर अच्छी गुणवत्ता के डिस्पोजेबल नैपकिन प्रयोग किए जाएंगे। 
  • ऑर्डर देने हेतु कान्टेक्टलैस प्रक्रिया अपनाई जाए तथा पेमेन्ट हेतु डिजीटल पेमेन्ट को प्रोत्साहित किया जाए।

यात्री के संक्रमित होने की जानकारी मिलने पर प्रोटोकॉल

परिसर में यात्री के संक्रमित होने की जानकारी मिलने पर निम्नवत् कार्यवाही की जायेगी

  • संक्रमित अथवा कोविड लक्षण प्रदर्शित होने पर व्यक्ति को आसोलेट किया जायेगा।
  • उक्त व्यक्ति की जांच होने तक उसे मास्क/फेस कवर/पी0पी0पी0 किट प्रदान की जायेगी।
  • तत्काल निकटतम चिकित्सा सुविधा (अस्पताल / क्लिनिक) को सूचित किया जायेगा एवं जिला हेल्पलाइन को सूचित किया जायेगा। 
  • एमआरपी/एफएमआर/एसएडी द्वारा यथावश्यक सैम्पलिंग की कार्यवाही की जायेगी और तदनुसार मामले के प्रबंधन, उसके संपर्कों और सैनिटाईजेशन की कार्यवाही की जायेगी। 
  • यदि व्यक्ति कोविड पॉजिटिव पाया जाता है तो परिसर का पूर्ण रूप से सैनिटाईजेशन किया जाएगा।

दण्डात्मक प्रावधान

  • समय-समय पर जारी किए गए कोविड प्रोटोकॉल (सोशल डिस्टेंसिंग और एसओपी) का पालन न करने की स्थिति में उत्तराखंड पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, महामारी रोग अधिनियम, 1897 और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। 
  • पुलिस विभाग द्वारा प्रश्नगत मानक प्रचालन विधि(एस0ओ0पी0), आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं उत्तराखण्ड एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट की धारा 20 के प्राविधानों का उल्लंघन करने पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। 
  • यात्रियों द्वारा पुलिस सहायता हेतु 100 एवं 112 नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है।

श्री बद्रीनाथ धाम  में दर्शन व्यवस्था

प्रवेश प्रक्रिया

  • अनुमन्य श्रद्धालुओं/ यात्रियों को मन्दिर में प्रवेश करने से पूर्व जूते चप्पलों को निर्धारित स्थान या अपने प्रवास स्थल / वाहन आदि में रखना अपेक्षित होगा। 
  • अनुमन्य श्रद्धालुओं/यात्रियों को मन्दिर में प्रवेश “सिंहद्वार” से करना होगा। प्रवेश पूर्व सिंहद्वार के अग्रभाग में पुलिस प्रशासन/मन्दिर प्रशासन के कर्मचारियों को अपना पंजीकरण प्रमाण पत्र दिखाना होगा। 
  • तत्पश्चात थर्मल स्कॅनिंग, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क एवं उपलब्ध सैनिटाईजर से अच्छी तरह अपने हाथों में प्रयोग करना होगा। मास्क का प्रयोग न करने की स्थिति में उन्हें सशुल्क मास्क मन्दिर प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जाना होगा। 
  • प्रवेश प्रक्रिया के दौरान कतिपय लोगों में कोविड के लक्षण प्रदर्शित होने पर उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
  • दर्शन लाईन प्रक्रिया- श्रद्धालुओं/ यात्रियों की प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात “सिंहद्वार” से लेकर “संत कुटी’ तक निर्मित सेल्टर शैड (लम्बाई 340 मी0) में पंक्तिबद्ध होना आवश्यक होगा। पंक्तिबद्ध के समय सोसियल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 6 फीट की आपसी दूरी का पालन करते हुए निर्मित गोल निशान में पंक्तिबद्ध होना आवश्यक होगा।

दर्शन प्रक्रिया

  • “सिंहद्वार’ से प्रवेश करने पर श्रद्धालुओं/ यात्रियों को मन्दिर परिसर में बने गोल निशान में ही पंक्तिबद्ध होना पडेगा एवं दर्शन हेतु घंटाकर्ण गेट से सभामण्डप में प्रवेश करना होगा। दर्शन सभामण्डप से ही प्राप्त होंगे। 
  • गर्भ गृह में जाने की अनुमति नहीं होगी। सभामण्डप की क्षमता (7.10X2.70 मी०) को देखते हुए एक समय में तीन लोगो को ही सभामण्डप में दर्शन “धर्म दर्शन” प्रवेश हेतु अनुमन्य होंगे।
  • सभामण्डप में प्रवेश के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 6 फीट की आपसी दूरी बनानी होगी एवं निर्मित गोल निशान में ही पंक्तिबद्ध होना आवश्यक होगा।
  • दर्शन “धर्म दर्शन” के रूप में होगी एवं प्रत्येक श्रद्धालु / यात्री को दर्शन “धर्म दर्शन” हेतु अत्यन्त सीमित समय अनुमन्य होगा।
  • श्रद्धालुओं/ यात्रियों को दर्शन पश्चात् मन्दिर प्रांगण में स्थित लक्ष्मी मन्दिर के सामने गेट से बाहर आना होगा। प्रथम यात्री/ श्रद्धालु के दर्शन उपरान्त, बाहर आने पर ही, घटांकर्ण गेट पर पंक्ति में नम्बर 4 पर खड़े यात्री/ श्रद्धालु सभामण्डप में प्रवेश कर पायेंगे, पुनः यह कम आवर्ती रूप से चलता रहेगा।
  • किसी भी दशा में दर्शन हेतु सभा मण्डप में एक समय में 3 से अधिक व्यक्ति अनुमन्य नहीं होगे।
  •  सभा मण्डप में किसी को भी बैठने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई यात्री/श्रद्धालु विशेष पूजा सम्पादित करना चाहते है तो आचार्यगणों द्वारा उनकी ओर से पूजाएं सम्पादित करा दी जाएगी परन्तु ऐसे श्रद्धालुओं/ यात्रियों को भी मात्र दर्शन (धर्म दर्शन) निर्धारित समय तक ही अनुमन्य होगी।

निकासी प्रक्रिया

  • श्रद्धालुओं/यात्रियों के दर्शन पश्चात, मन्दिर परिसर में निर्मित गोल निशान के दायें कम (Clock wise) में आगे बढ़ते हुए एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घंटाकर्ण गेट से बाहर जाना होगा। 
  • यदि मन्दिर परिसर में किंचित समय के लिए पंक्ति बद्ध होना पडे तो परिसर में बने गोल निशान में ही खड़ा रहना आवश्यक होगा। 
  • मन्दिर परिसर में किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ, परायण, भजन-कीर्तन आदि अनुमन्य नहीं होगे तथा परिसर में बहुत लम्बे समय तक अनावश्यक बने रहने की अनुमति नहीं होगी। 
  • परिसर में पब्लिक एनाउंसमेन्ट सिस्टम द्वारा उद्घोषणा होने पर उसका पालन करते हुए त्वरित गति से मन्दिर परिसर को खाली करना होगा, ताकि दर्शन हेतु पंक्ति में खड़े अन्य श्रद्धालुओं/यात्रियों को समयान्तर्गत दर्शन लाभ प्राप्त हो सके।
  • प्रसाद, दान, भेंट आदि प्रक्रिया-मन्दिर में किसी भी प्रकार का प्रसाद आदि चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी न ही मन्दिर के अन्दर प्रसाद वितरण टीका आदि लगाना ही अनुमन्य होगा। श्रद्धालुओं/ यात्रियों श्रद्धानुसार दिए जाने वाले दान-भेंट को निर्धारित दान पात्र में ही अर्पित करना आवश्यक होगा।
  • मूर्तियों/घण्टियों को स्पर्श नहीं किया जाना- मन्दिर एवं मन्दिर परिसर में स्थापित मूर्तियों घण्टियों, आभूषणों, ग्रन्थों पुस्तकों को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होगी।
  • तप्तकुंडों/कुंडों में स्नान सम्बन्धी निर्देश- धाम में स्थित तप्तकुंडों/कुंडों में स्नान किया जाना पूर्णतः वर्जित होगा।

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