मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का आज मुंबई में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया है। पंडित शिव कुमार की उम्र 84 साल थी और वह किडनी से रिलेटेड बीमारी से जूझ रहे थे। वह पिछले छह महीने से डायलिसिस पर थे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि, किया ट्वीट
Our cultural world is poorer with the demise of Pandit Shivkumar Sharma Ji. He popularised the Santoor at a global level. His music will continue to enthral the coming generations. I fondly remember my interactions with him. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 10, 2022
PM मोदी ने ट्वीट कर लिखा, पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया अधूरी हो गई है। उन्होंने संतूर को विश्व में पहचान दिलाई और लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ऊं शांति।
5 साल की उम्र से शुरू की थी संगीत की शिक्षा
पं. शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। उनके पिता पं. उमादत्त शर्मा भी जाने-माने गायक थे, संगीत उनके खून में ही था। पांच साल की उम्र में पं. शर्मा की संगीत शिक्षा शुरू हो गई। पिता ने उन्हें सुर साधना और तबला दोनों की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने संतूर सीखना शुरू किया। संतूर जम्मू-कश्मीर का लोक वाद्ययंत्र था, जिसे इंटरनेशनल फेम दिलाने का श्रेय पं. शिवकुमार को ही जाता है।
17 साल की उम्र में किया था पहला शो
1955 में महज 17 साल की उम्र में पं. शिवकुमार शर्मा ने मुंबई में संतूर वादन का अपना पहला शो किया। इसके बाद उन्होंने संतूर के तारों से दुनिया को संगीत की एक नई आवाज से वाकिफ कराया। क्लासिकल संगीत में उनका साथ देने आए बांसुरी वादक पं. हरिप्रसाद चौरसिया। दोनों ने 1967 से साथ में काम करना शुरू किया और शिव-हरि के नाम से जोड़ी बनाई।
इस जोड़ी ने “सिलसिला”, “लम्हे” और “चांदनी” जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया। शिवकुमार के बेटे राहुल शर्मा भी एक संतूर वादक हैं।