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दिवाली के बाद लगने जा रहा सूर्य ग्रहण, धनतेरस और दीपावली पर इन महूर्त पर करें पूजा

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दीपावली को सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। लेकिन दिवाली से ठीक पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस बार धनतेरस का पर्व शनिवार यानि 22 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

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आपको बता दें कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी निमित्त सायँ प्रदोष काल में दीपदान एवं चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी को प्रभात स्नान कर दान आदि करने से मनुष्य को नरक से मुक्ति मिलती है। 23 अक्टूबर यानि रविवार की शाम को 6 बजकर 4 मिनट के बाद प्रदोष काल में चतुर्दशी आने से नरक चतुर्दशी निमित्त सायँ काल को दीपदान होगा और रूप चतुर्दशी यानि छोटी-दीपावली मनाई जाएगी । जिसके बाद आगामी अरुणोदय काल सूर्योदय के पहले स्नान कर चौदस मनाई जाएगी।

 

महालक्ष्मीपूजनसमय

योगेश जैन के मुताबिक  कार्तिकी कृष्णा चतुर्दशी 24 अक्टूबर 2022 यानि सोमवार को प्रदोष काल में अमावस्या वाले ही दिन दीपावली मनाई जाएगी । इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का समय प्रदोष काल सायँ 5 बजकर 45 से रात्रि 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगा ।

 

चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार है

चर का चौघड़िया सायँ 05:45 से रात्रि 07:23 तक
लाभ का चौघड़िया रात्रि 10:30 से रात्रि 12:11 तक
अमृत का चौघड़ियारात्रि 01:47 से उ.रा.04:15 तक रहेगा

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हालांकि इस बार दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर मंगलवार को ग्रस्तास्त सूर्य ग्रहण पड़ने से उसका सूतक 12 घंटे पहले प्रारंभ होगा जो दीपावली की रात्रि 4 बजकर 23 मिनट से लगेगा । अतः लक्ष्मी पूजन में नवग्रह आदि का विसर्जन भी सूतक के पहले ही करना उचित रहेगा।

सूर्यग्रहण व सूतक एवं भोजन करने का समय

कार्तिक कृष्णा अमावस्या मंगलवार दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को इस बार ग्रस्तास्तं खंडग्रास सूर्यग्रहण है । जो भारत में भी दिखाई देगा । संपूर्ण भारत में उसके समय अनुसार सायँ काल 4:23 से 6:25 के बीच अलग-अलग समय पर प्रारंभ होकर यह ग्रहण सूर्यास्त तक दिखाई देगा । ग्रहण की समाप्ति सूर्यास्त के बाद होने के कारण यह ग्रहण ग्रस्तास्त कहलाएगा । इस ग्रहण का सूतक दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को सूर्योदय के पहले यानी 4:23 पर लगेगा । सूतक लगने के बाद धार्मिक जनों को भोजन नहीं करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के बाद इस समय करें भोजन

25 अक्टूबर 2022 को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत में ग्रस्तास्त अर्थात ग्रहण लगा सूर्य अस्त हो जाएगा शास्त्रों में ग्रस्तास्त सूर्य का ग्रहण का पर्व काल सूर्य चंद्रमा के अस्त तक ही मानने के निर्देश दिये हैं । अतः इस ग्रहण का पर्व काल सूर्यास्त के साथ ही समाप्त हो जाएगा । इसलिए धार्मिक जनों को सूर्यास्त के बाद स्नान करके संध्या जप एवं दान आदि करना चाहिए किंतु जब तक अगले दिन बुधवार 26 अक्टूबर को ग्रहण मुक्त सूर्य का दर्शन नहीं करेंगे तब तक भोजनादि नहीं करना चाहिए।

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