मंगलवार 28 जून और बुधवार, 29 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। इसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं।
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मंगलवार को पितरों के लिए धूप-ध्यान करें और बुधवार को नदी स्नान और दान-पुण्य करें। अमावस्या तिथि पर आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष खत्म हो जाएगा। इसके बाद 30 जून से आषाढ़ शुक्ल पक्ष शुरू होगा।
हिन्दी पंचांग के एक महीने में दो पक्ष होते हैं- एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। एक पक्ष 15 तिथियों का होता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है और पूर्णिमा पर चंद्र पूर्ण रूप से दिखाई देता है। पूर्णिमा पर चंद्र बड़ा और अधिक चमत्कार दिखता है
अमावस्या को हलहारिणी अमावस भी कहते हैं। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी का विष्णु जी के साथ विशेष अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय प्रकट हुई थीं। इसी वजह से हर महीने इस तिथि पर देवी के लिए खास पूजा-पाठ करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर, तुलसी के पास, रसोई घर में सुरक्षित जगह पर दीपक जरूर जलाएं। घर के पास किसी मंदिर में भी दीपक जलाएं।