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कष्टों से मुक्ति पानी है तो नरसिंह जयंती पर करें ये काम, जानें किस समय पूजा करने से मिलेगा लाभ…

narsingh 1 कष्टों से मुक्ति पानी है तो नरसिंह जयंती पर करें ये काम, जानें किस समय पूजा करने से मिलेगा लाभ...

भगवान विष्णु के आधे नर और आधे सिंह के अवतार को नरसिंह का अवतार कहा जाता है। 6 मई को नरसिंह जयंती है।
नरसिंह जयंती वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

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दक्षिण भारत में भगवान विष्णु के भक्त विशेष रूप से नरसिंह भगवान की आराधना करते हैं। नरसिंह भगवान को संकट हरने वाले भगवान के रूप में पूजते हैं।

अगर आपके जीवन में कोई कष्ट है, या संकट है, किसी प्रकार का आर्थिक संकट है या शत्रु से दुखी हैं तो नरसिंह भगवान की पूजा से इन बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि, पूरे देशभर में नरसिंह जयंती बड़े ही धूम-धाम से हर साल मनाई जाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया था।
जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

भगवान नरसिंह की पूजा की विधि

नरसिंह जयन्ती पर संध्या काल में भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की जाती है । इस दिन स्नान के बाद पूजाघर ककी साफ सफाई करें। नरसिंह भगवान की स्तुति करें। भगवान नरसिंह को जल, प्रसाद, फल और पुष्प अर्पित करें। भगवान विष्णु पीतांबर प्रिय है इसलिए नरसिंह भगवान को पीताम्बर चढ़ाएं।

उत्तराखंड का नरसिंह मंदिर क्यों है खास?

देवभूमि उत्तराखंड के चमोली ज़िले के जोशीमठ क्षेत्र में स्थित ‘नृसिंह मंदिर’ भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशमों में से एक है ।
नरसिंह मंदिर जोशीमठ का सबसे लोकप्रिय मंदिर है , यह मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के चौथे अवतार थे । सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिम्हा बद्री भी कहा जाता है ।
नरसिंह मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि यह मंदिर, संत बद्री नाथ का घर हुआ करता था । 1200 वर्षों से भी पुराने इस मंदिर के विषय में यह कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं इस स्थान पर भगवान नरसिंह की शालिग्राम की स्थापना की थी ।

मंदिर को लेकर कहा तो यहां तक जाता है कि, भगवान नरसिंह की मूर्ति खुद ही अवतरित हुई थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि,इस मंदिर में स्‍थापित भगवान नरसिंह की प्रसिद्ध मूर्ति दिन प्रति दिन सिकुडती जा रही है । मूर्ति की बायीं कलाई पतली है और हर दिन पतली ही होती जा रही है ।

ऐसी मान्यता है कि जिस दिन नृसिंह स्वामी जी की यह कलाई टूट कर गिर जाएगी, उस दिन नर और नारायण पर्वत ढह कर एक हो जायेंगे और बद्रीनाथ धाम का मार्ग सदा के लिए अवरुद्ध हो जायेगा । और इस हाल में भी भगवान नरसिंह अपने भक्तों की रक्षा करेंगे। यही कारण है कि, नरसिंह जयंती पर उत्तराखंड के इस मंदिर में बहुत भीड़ लगी रहती है।

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पूजा का शुभ मुहूर्त
नरसिंह जयन्ती शाम संकल्प का समय – 10:56 से 13:37
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – मई 05, 2020 को 23:21
चतुर्दशी तिथि समाप्त – मई 06, 2020 को 19: 44 रात्रि तक

इस तरह भगवान नरसिंह की पूजा करके आप कष्टों सो मुक्ति पा सकते हैं।

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