लखनऊ। बकरीद पर जानवरों कि कुरबानी का चलन बरसों से है। लेकिन इस बार खुद मुसलिम समाज इस चलन का विरोध कर रहा है। बीते मंगलवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सदस्यों ने बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी का कड़ा विरोध किया है। विश्व संवाद केंद्र में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच यूपी के सह-संयोजक खुर्शीद आगा का कहना है कि देश में बकरीद पर कुर्बानी को लेकर अंधविश्वास फैला हुआ है। उनका कहना है कि मुसलमान सिर्फ कहने के लिए मुसलमान रह गया है। वो खुद को मुसलमान तो कहता है लेकिन अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने के लिए भ्रमित हो गया है।
बता दें कि उनका कहना है कि अगर कुर्बानी जायज नहीं है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जाती है। उन्होंने बाबरी मस्जिद को लेकर कहा कि जिस जगह पर फसाद हो वहां नमाज नहीं पढ़ी जा सकती तो फिर विवादित ढांचे की जगह पर मस्जिद कैसे बनाई जा सकती है। वहीं मंच के संयोजक ठाकुर राजा रईस का कहना है कि जब हजरत इब्राहिम ने किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी तो फिर मुस्लिम समाज कैसे जानवरों को कुर्बान कर सकता है। कुर्बानी के नाम पर जानवरों का कत्ल हो रहा है। उनका कहना है कि खुदा ने कहा कि पेड़-पौधे जानवर पक्षी ये सभी अल्लाह की रहमत है अगर तुम उन पर रहम करोगे तो तुम पर अल्लाह की रहमत बरसेगी। संयोजक सैय्यद हसन कौसर ने गाय पर कुर्बानी को हराम बताते हुए कहा कि तीन तलाक की तरह जानवरों की कुर्बानी भी हराम है। हमें इन पुरानी कुरीतियों से बाहर निकलना होगा।