नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रही गहमागहमी का असर विश्वस्तर पर हुआ है, कश्मीर एक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा होने के चलते विश्व के अनेक देशों का झुकाव उनके पसंद के देश की तरफ देखा जा रहा है। एकतरफ जहां अमेरिका और रुस जैसी प्रमुख शक्तियां आतंकवाद की खिलाफत करते हुए भारत का समर्थन कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ भारत का पड़ोसी देश चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है।
पाकिस्तान को अरब देशों से भी समर्थन प्राप्त है। इस बीच भारत-अमेरिका और रुस-पाकिस्तान के सैन्यअभ्यासों से जो एक सवाल खड़ा हो रहा है वह यह है कि क्या यूएस और रुस के तल्ख रिश्तों का खामियाजा भारत को तो नहीं भुगतना पड़ेगा।
भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास:-
भारत और यूएस के बीच 15 सितंबर से उत्तराखंड में सैन्य युद्धाभ्यास शुरु हुआ। दोनों देशों के करीब 200 सैनिकों ने दो हफ्तों के फ्रेंडशिप 2016 नाम के सैन्य युद्धाभ्यास में भाग लिया। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय हुआ जब मास्को और इस्लामाबाद के बीच रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं और इस्लामाबाद अत्याधुनिक रूसी युद्धक विमान खरीदने पर विचार कर रहा है।
पाकिस्तान के मई 2011 में ऐबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका से रिश्तों में खटास आ गई है। जिसके बाद उसने अपनी विदेश नीति के विकल्पों को बढ़ाने का फैसला किया था।
रुस-पाक सेनाभ्यास:-
वहीं दूसरी ओर रूस और पाकिस्तान के बीच करीबियों को भी विश्व समुदाय देख रहा है। उरी में हुए आतंकी हमले के बाद जहां खबर आई थी कि रूस ने पाकिस्तान के साथ होने वाले सेनाभ्यास को स्थगित कर दिया है तो वहीं आज इस खबर पर भी सब कुछ साफ हो गया। रूस ने इस खबर को नकारते हुए पाकिस्तान के साथ सेनाभ्यास शुरू कर दिया है। हालांकि रूस ने स्पष्ट किया है कि वह पीओके में सेनाभ्यास नहीं कर रहा है। रूसी सैनिक 24 सितंबर से 10 अक्टूबर तक दो हफ्तों के लिए इस देश में रहेंगे।
इस सेनाभ्यास को भारत की कूटनीतिक दृष्टि से देखें तो कुछ और ही संकेत जाता है। दरअसल रूस हमेशा हर स्थिति में भारत के साथ खड़ा हुआ है। कई विचारक बताते हैं कि रूस का या कदम भारत के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि इस कदम से रूस की अमेरिका से दूरी को परखा जा सकता है।