- त्रिनाथ मिश्र, भारत खबर
मेरठ। नगर निगम मेरठ में वैसे तो सबकुछ ठीकठाक चल रहा होता है लेकिन जब कोई शिकायत या घोटाला सामने आता है तो अधिकारियों के सख्त रवैये से महकमें में हड़कम्प मच जाता है।
घोटालों के बिस्तर पर सोने वाले अधिकारियों की कुभकर्णी नींद और जनता की परेशानियों का टकराव होने से उपजे विवाद का हल निकालने के लिए शिकायतों का सहारा लिया जाता है लेकिन जांच करने वाले महकमे के मकड़जाल को सुलझा नहीं पाते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छता योजना को पलीता लगा रहे नगर निगम के अधिकारियों के पास करोड़ों रूपये फूंक देने के बाद भी ठोस जवाब नहीं होता कि आखिर योजनाओं को अमली जामा पहनाने में परेशानी क्यों हो रही है।
हाउस टैक्स की वसूली से लेकर निर्माण कार्य…. और फिर स्वास्थ्य विभाग में बनने वाले प्रमाणपत्रों तक में दलालों के जमघट ने नगर निगम को वेंटीलेटर पर पहुंचा दिया है।
भ्रष्टाचार के इस मकड़जाल से मेरठ के व्यापारियों ने भी अब दो-दो हाथ करने की ठान ली है… नगर निगम कार्यालय के बाहर नारेबाजी कर रहे ये लोग मेरठ के व्यापारी है और शहर के विभिन्न जगहों से ताल्लुक रखते हैं…. पश्चिमी उप्र संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष आशु शर्मा के नेतृत्व में नगर निगम से परेशान से लोग अन्तत: अपने गुस्से का इजहार इसी तरह से करने को मजबूर हो गये।
हंगामें की आवाजों को सुनकर यह कयास लगाया जा सकता है कि नगर निगम किस तरह से अपने असली मकसद से भटक कर दोराहे पर खड़ा हो चुका है… अब देखना यह है कि शहर को गुलजार करने का वादा करने वाले नगरायुक्त डॉ अरविन्द कुमार चौरसिया अपने वादों पर खरा उतरने में कामयाब हो पाते हैं या फिर हर बार की तरह खानापूर्ति कर इतिश्री कर लेंगे।