लखनऊ: छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद के साथ साथ बाजार का भी सहयोग चाहिए होता है, लेकिन कोरोना आने के बाद इन दोनों क्षेत्रों में लगातार गिरावट की देखने को मिली। इसी का परिणाम है कि आज MSME सेक्टर कई समस्याओं को झेल रहा है। इन्हीं चुनौतियों पर Bharatkhabar.com के संवाददाता आदित्य मिश्र ने MSME Day पर उद्यमियों से बात की।
पिता की भूमिका निभाये बैंक
प्रदीप गुप्ता (प्रदीप कुमार गुप्ता, डिवीजनल चेयरमैन, IIA) कहते हैं कि अब अस्तित्व पर संकट आ गया है। लगातार कच्चे माल के दाम बढ़ते जा रहे हैं, इस पर अगर अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थिति और खराब हो जाएगी। एक तरफ जहां बाजार में डिमांड नहीं है, वहीं दूसरी तरफ कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। MSME छोटा सेक्टर है, इसमें समय-समय पर फंड की भी आवश्यकता होती है। बैंक नियम थोड़े कम सख्त होने चाहिए, मौजूदा स्थिति से उबारने में बैंक पिता की भूमिका निभा सकता है।
नई तकनीक से होगा विकास
जेपी जयसवाल (J P Jaiswal, Divisional chairman, Indian industries association, Gorakhpur Division) ने बातचीत के दौरान बताया कि MSME सेक्टर को बढ़ावा देने की बात कई बार होती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इतनी तत्परता नहीं दिखाई देती। ना कोई इंसेंटिव मिलता है और अन्य फायदे भी कोसों दूर हैं। छोटे उद्योगों को निराशा ही हाथ लगती है, समाधान से जुड़े सवालों पर जेपी जयसवाल ने कहा कि बैंकों को ज्यादा मददगार होने चाहिए। इसके साथ ही कच्चा माल और उनकी बढ़ती कीमतों पर सरकार को नियंत्रण लगाना चाहिए। अगर सरकार प्रोत्साहित करेगी, तभी सुधार होगा नहीं तो स्थिति बिगड़ती हुई ही दिखाई दे रही है।
महंगाई बढ़ी और मांग कम
सूर्य प्रकाश हवेलिया (Surya Prakash Haveliya, National Secretary, Indian industries association) ने बताया कि लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है और बाजार में इन दिनों मांग कम है। ऐसे में इसका पूरा पूरा असर उद्योग पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि MSME सेक्टर अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति तभी सुधर सकती है, जब जीएसटी में छूट दी जाए। 18% लगने वाले जीएसटी में भी थोड़ी राहत दी जा सकती है। इसके अलावा बिजली बिल की दरों में भी छूट दिए जाने की बात कही।
काम बंद पर बिजली बिल चालू
धीरज चुग (Dheeraj Chug, Divisional chairman, Indian industries association, Meerut 1) के अनुसार उम्मीद है कि स्थिति बेहतर होगी, लेकिन अभी भी बाजार में मांग कम है। इसका सीधा-सीधा असर व्यापार पर पड़ रहा है। मजदूर वर्ग का पलायन रुक गया है, लेकिन अभी भी स्थिति सुधरने में समय लगेगा। समाधान पर उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पूरा कामकाज बंद हो गया था, लेकिन फिर भी बिजली बिल सरचार्ज के साथ आ गया। बैंक लोन का ब्याज भी देना पड़ रहा है, ऐसे में अगर सरकार इसमें छूट देती है तो बहुत राहत मिलेगी।