लखनऊ: दुनियाभर में MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) अर्थव्यवस्था का 60-70 फीसदी हिस्सा प्रदान करता है। रविवार यानी 27 जून को विश्व में MSME Day मनाया जा रहा है। भारत में भी अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से एमएसएमई दिवस मनाया जाता है।
कोरोना महामारी ने लगभग हर व्यक्ति और सेक्टर को प्रभावित किया है। ऐसे में एमएसएमई की क्या स्थिति है, वह किस तरह से प्रभावित है या उद्यमियों के सुझाव व उनकी मांगें क्या हैं, इन सब पर आज भारतखबर.कॉम के संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने एमएसएमई से जुड़े उद्यमियों से बातचीत की और उनकी राय जानी।
MSME को दो हिस्सों में बांटना चाहिए: सुनील सिंघल
सुनील सिंघल (Chapter Chairman, Indian Industries Association, Agra) ने बताया कि, कोरोना काल में एमएसएमई करीब-करीब बर्बाद हो गई। एमएसएमई का काम खत्म हो गया, अब उसके पास कोई काम नहीं है। लॉकडाउन में लेबर भाग गए। सरकार ने इंडस्ट्री खोल दी, लेकिन मार्केट बंद रखी। इस कारण हमें छोटी-छोटी चीजों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मार्केट बंद होने के कारण माल भी नहीं बिक पाया। एमएसएमई अब खुद सर्वाइवर की लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि, सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा ही बदल दी है। अब चाहिए कि एमएसएमई को दो हिस्सों में बांट दिया जाना चाहिए। MSME का नाम भी बदलना चाहिए और MS (Micro, Small Industry) को अलग और ME (Medium Industry) को अलग कर देना चाहिए।
यूपी में भी एमएसएमई को मिले विशेष दर्जा: आर पी सिंघल
आर पी सिंघल (Chapter Chairman, IIA, Mathura) ने कहा कि, कोरोना काल की स्थिति में इंडस्ट्री को नुकसान उठाना पड़ा है। इस समय इंडस्ट्री 25 फीसदी प्रोडक्टशन हो रहा है। सरकार ने इंडस्ट्री चालू रखी, लेकिन मार्केट बंद कर दी। ऐसे में हमें कच्चा माल नहीं मिलेगा, मार्केट में सेल नहीं होगी और लेबर नहीं मिलेंगे तो प्रोडक्टशन कैसे और क्यों किया जाएगा। पिछले साल भी सरकार ने लोन को लेकर राहत नहीं दी। इंडस्ट्री वालों को बैंक में लाइबिलिटी रही है, वर्कर्स की लाइबिलिटी रही है और इंडस्ट्री आज भी सफर कर रही है। सरकार ने विभागों में कह दिया है कि हमने ऑनलाइन कर दिया है, लेकिन ऑनलाइन में इंडस्ट्री लगाने वालों प्रक्रिया जटिल है। संबंधित विभाग के अधिकारी अपने यहां चक्कर लगवाते हैं और उसमें भी भ्रष्टाचार की बू आती है। उन्होंने कहा कि, और राज्यों की तरह यूपी को भी एमएसएमई को विशेष दर्जा देना, सब्सिडी देनी चाहिए और इलेक्ट्रीसिटी बिल को अगर माफ न करें तो फिक्स्ड चार्जेज को खत्म कर करके, बैंकों में लोन को प्रक्रिया को आसान करने राहत देनी चाहिए, जिससे इंडस्ट्री परेशानी के दौर से निकल सके।
सरकार को फैक्ट्रियों में देना चाहिए गेहूं: अशवानी अग्रवाल
अशवानी अग्रवाल (Chapter President, IIA, Pilibhit) ने कहा कि, कोरोना काल में भारत सरकार ने देश की जनता को फ्री में राशन दिया, जो सराहनीय है। लेकिन इससे फूड ग्रेन व फ्लोर मिल इंडस्ट्री को नुकसान हुआ, क्योंकि जब फ्री में आटा, चावल मिल रहा है तो आदमी फैक्ट्री का खरीदकर क्यों खाएगा। मार्केट में भी गेंहू, चावल का रेट डाउन है और प्रोडक्ट की डिमांड की घट गई है। सरकार को अगर गेहूं, चावल फ्री में बांटना था तो फ्लोर मिलों से कॉन्टैक्ट करते। हमसे कहते कि हम आपको गेहूं देंगे और उसके बदले हमें इतनी क्वांटिटी आटा चाहिए और फिर उसे गरीबों में बांटते। गरीब भी खुश होता कि उसे आटा मिला है और इंडस्ट्री भी चलती रहती। इससे लेबर को काम भी मिलता रहता और आपको बिजली का बिल भी मिलता रहता। उन्होंने सबसे खास बात यह कही कि, केंद्र की मोदी सरकार से लेकर यूपी के योगी सरकार तक ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने की बात की थी। इससे हमें उम्मीद जगी और हमने करीब 20 करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट करके पेपर कैरीबैग, पेपर प्रोडक्ट बनाने के लिए एक बड़ी यूनिट लगाई। लेकिन वह इस कोरोना काल में गर्दिश में है। नगर निगम ने बहुत सारी जगहों पर छापेमारी की, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक बंद नहीं हुई। इससे भी हमें बहुत नुकसान झेलना पड़ा और हमें जो इससे अपेक्षाकृत लाभ की उम्मीद थी, वह नहीं मिला।
एमएसएमई के लिए फंड रिलीज हो: अनिल दीप आनंद
अनिल दीप आनंद (Chapter President, IIA, Barabanki) ने कहा कि, सरकार ने कोरोना काल में हमें किसी प्रकार की कोई राहत नहीं दी। जो टैक्सेशन थे, उनमें भी कोई छूट नहीं मिली। हम लोग पिछले साल से लगातार घाटे में हैं। इस साल लॉकडाउन में सरकार ने इंडस्ट्री को तो खोला, लेकिन मार्केट बंद रखी। ऐसे में जब लेबर नहीं मिलेंगे, रॉ मैटेरियल नहीं मिलेगा तो उद्यमी सर्वाइव कैसे करेगा। ऐसे में सरकार को चाहिए एमएसएमई के लिए फंड रिलीज करे, जो कुछ समय के लिए इंटरेस्ट फ्री हो। सरकार फाइनेंसियली सपोर्ट करे, तभी एमएसएमई फिर से सर्वाइव कर सकेगी।
बैंकों में आसानी से मिले लोन: संजीव अरोरा
संजीव अरोरा (Chapter Chairman, IIA, Deoria) ने कहा कि, कोरोना काल में हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। बाजारों से पेमेंट न होने की दिक्कत से लेकर में बैंक में लोन लेने तक की मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं। अगर हमें गोल्ड लोन या हाउस लोन लेकर उद्योग में लगाना है तो बिजनेस लोन का क्या फायदा। कुछ एक लोगों की गलतियों की वजह से सभी उद्यमियों को एक कटघरे में क्यों खड़ा किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि बिजनेस लोन पर इंटरेस्ट कम करे, बैंकों से आसानी से लोन उपलब्ध कराने का नियम बने, बिजली के दाम कम किए जाएं, जो हमारे यहां ज्यादा हैं और इंडस्ट्री लगाने के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान किया जाए।