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जब एक कॉल पर गुजरात से दिल्‍ली चले गए थे एके शर्मा, आप इस वाकये को जानते हैं क्‍या   

एक कॉल पर गुजरात से दिल्‍ली चले गए एके शर्मा, आप इस वाकये को जानते हैं क्‍या   

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में वर्तमान समय में एक नाम सबसे ज्‍यादा चर्चा में है और वो नाम है- एके शर्मा। गुजरात कैडर के पूर्व IAS व भाजपा MLC अरविंद कुमार शर्मा के योगी मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलें जारी हैं। एके शर्मा वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले दिन से आज तक चर्चा में हैं।

गौरतलब है कि एके शर्मा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध बहुत घनिष्‍ठ हैं। उन्‍हें पीएम मोदी का विश्‍वासपात्र माना जाता है। अब हम आपको उस वाकये के बारे में बताने जा रहे हैं, जब एके शर्मा एक फोन पर गुजरात से दिल्‍ली आ गए थे।

वर्ष 2014 की है बात

बात वर्ष 2014 की है, जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आए और तय हुआ कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन रहे हैं। इसके अगले दिन ही मोदी ने एके शर्मा को फोन किया और कहा कि आपको मेरे साथ दिल्ली चलना है। फिर जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली तो उसके चार दिन बाद अरविंद शर्मा को पीएमओ में नियुक्ति मिल गई।

पीएमओ में अरविंद कुमार शर्मा ने संयुक्त सचिव के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इसके बाद शर्मा को अतिरिक्त सचिव और कोरोना काल में प्रधानमंत्री ने उन्हें एमएसएमई में भेजकर सचिव बना दिया। एके शर्मा गुजरात से दिल्ली और अब दिल्‍ली से उत्‍तर प्रदेश पहुंच गए। यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा है कि उन्हें प्रदेश उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

यूपी में विपक्ष बनाएगा बड़ा मुद्दा

कयास और चर्चाएं हैं कि एके शर्मा को गृह और स्वास्थ्य विभाग दिया जा सकता है, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो लोग इसे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की असफलताओं के रूप में देखेंगे। साथ ही विपक्ष भी इसे बड़ा मुद्दा बनाएगा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि योगी कैंप के लोगों का मानना है कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था इस सरकार में बेहतर हुई है, जिसका श्रेय सीएम योगी को ही जाता है।

इसके अलावा दूसरी बड़ी उपलब्धि के रूप में मुख्यमंत्री योगी के कोविड प्रबंधन को माना जाता है। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में यूपी में बहुत बेहतर ढंग से काम हुआ। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर आने पर शुरुआती दिनों में थोड़ी अव्यवस्थाएं रहीं, लेकिन सीएम योगी के कठिन परिश्रम की वजह से उन्‍हें भी समय के साथ ठीक कर लिया गया। अब ऐसे में विपक्ष ने अगर एके शर्मा को यूपी मंत्रिमंडल में शामिल होने को बड़ा मुद्दा बना लिया तो विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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