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इसी बीच हाेशियारपुर में बंद के समर्थक और इसका विरोध कर रहे संगठन आमने-सामने

पंजाब 1 इसी बीच हाेशियारपुर में बंद के समर्थक और इसका विरोध कर रहे संगठन आमने-सामने

जालंधर. सिख संगठन दल खालसा की ओर से 25 जनवरी को दी गई बंद की कॉल का प्रदेश में मिला-जुला असर दिखाई दे रहा है। ज्यादातर इलाकों, खासकर शहरों में शनिवार को जनजीवन आम दिनों की तरह जारी रहा। बाजार सामान्य दिनों की तरह ही खुले रहे। एकाध जगह बंद के समर्थकों ने राज्‍य में विभिन्‍न स्‍थानों पर प्रदर्शन किया और बाजार व यातायात बंद कराने की काेशिश की। बंद के मद्देनजर राज्‍य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसी बीच हाेशियारपुर में बंद के समर्थक और इसका विरोध कर रहे संगठन आमने-सामने आ गए, लेकिन पुलिस ने हालात को संभाल लिया। 

जालंधर में जिला स्तर के सिख संगठनों के अलावा किसी भी संस्था ने इसका समर्थन नहीं किया। इस कारण बंद शहर में पूरी तरह बेअसर रहा। शहर के शिक्षण संस्थान भी सामान्य दिनों की तरह खुले रहे। सुबह बच्चे स्कूल गए जहां गणतंत्र दिवस को लेकर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। बठिंडा और फाजिल्का में बंद के आह्वान का असर नहीं था। पठानकोट-गुरदासपुर में हल्का सा प्रभाव देखने को मिला। चौक-चौराहों पर पुलिस तैनात देखी गई। लुधियाना में भी बंद पूरी तरह से विफल रहा। सभी दुकानें खुलीं और बाजारों में पूरी चहल-पहल है। रोपड़ जिले, नवांशहर और फतेहगढ़ साहिब में भी बंद का कोई असर नहीं है।

मोगा में कुछ सिख संगठनों के सदस्‍यों ने दुकानदारों को धमकाते हुए बाजार बंद कराया। इसके बाद पुलिस के फ्लैग मार्च निकालने के बाद दुकानदारों ने अपन दुकानें खोल दीं। मुक्तसर में भी बाजार आम दिनों की तरह खुले हुए हैं। हालांकि यहां कुछ संगठनों ने बंद के समर्थन में प्रदर्शन किया। बरनाला में सिख संगठनों व मुस्लिम भाईचारा संगठनों ने खुले बाजारों को बंद करवाया, लेकिन बाद में पुलिस के पहुंचने पर दुकानों खुल गईं। बंद समर्थकों ने शहर में प्रदर्शन किया। संगरूर में बाजार और स्कूल-कॉलेज सामान्य दिनों की तरह खुले रहे। हालांकि गर्मख्यालियों की तरफ से रोष मार्च निकाला गया, जिस दौरान भारी पुलिस बल सुरक्षा के मद्देनजर मुस्तैद नजर आया। दरअसल देश में पिछले कुछ दिनों से तनाव का कारण बने नागरिकता कानून के संशोधित रूप के खिलाफ गर्मख्यालियों की तरफ से 25 जनवरी शनिवार को पंजाब बंद का ऐलान किया गया था। इसके लिए सोशल मीडिया पर प्रचार भी किया गया था।

दल के प्रधान हरपाल सिंह चीमा ने नागरिकता संशोधन कानून पर नाराजगी जताई वहीं, बटाला में संयुक्त सचिव परमजीत सिंह टांडा और अन्य कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भारतीय संविधान का दुरुपयोग कर रहे हैं। उनकी तानाशाही नीतियों की वजह से देश त्राहि-त्राहि कर रहा है। हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को भारतीय जनता पार्टी आगे ले जा रही है, जबकि बाकी धर्मों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दल खालसा ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की और इस मुद्दे को बंद के दौरान उठाए जाने की बात कही है, वहीं दल खालसा के मुद्दे में जामिया एएमयू और जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी में हुए हंगामे भी सम्मिलित हैं।

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