नई दिल्ली। सीएम योगी की ओर से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और जामिया मिलिया में दलितों के लिए आरक्षण की मांग किए जाने के बाद यह मामला राजनीतिक स्तर पर गरमाता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस मांग को बीजेपी की ओर से महज शिगूफा करार दिया। उत्तर प्रदेश के कन्नौज में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दलितों के लिए अल्पसंख्यक संस्थानों में आरक्षण की मांग उठाई।
उन्होंने कहा कि जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय दलितों को आरक्षण दे सकता है तो फिर अल्पसंख्यक संस्थान ऐसा क्यों नहीं कर सकते उनका इशारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया की ओर था जहां पर दलितों को आरक्षण में किसी तरह की सुविधा नहीं दी जाती। बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य बीजेपी सरकार की ओर से इस मांग को महज शिगूफा करार दिया।
न्यापालिका में भी दलितों-पिछड़ों के लिए आरक्षण
मायावती ने केंद्र और राज्यों की बीजेपी सरकार को दलित, पिछड़ों और गरीबों का विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के दौर में इन वर्गों के साथ जिस प्रकार से लगातार अन्याय हो रहा है। उसे देखते हुए इन वर्गों के हित और कल्याण के बारे में इन्हें बात करने का कोई हक नहीं है। साथ ही मायावती ने कहा, ‘मैं सरकारी नौकरी के साथ-साथ न्यापालिका और प्राइवेट नौकरी में भी दलितों-पिछड़ों के लिए आरक्षण की मांग करती हूं।’
मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकारें देश की जनता के प्रति अपनी कानूनी और संवैधानिक जिम्मेदारियों से भागने के लिए ही हर दिन नए-नए शिगूफे छोड़ती है, जिससे लोगों का उसकी विफलताओं की ओर से ध्यान हटा रहे।
बीएसपी ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति
बीएसपी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि आरक्षण को नकारात्मक सोच के साथ देखने के बजाए इसे देश में सामाजिक परिवर्तन के व्यापक हित के तहत एक सकारात्मक समतामूलक मानवतावादी प्रयास के रूप में देखना चाहिए। यही कारण है कि बीएसपी अगड़ी समाज के साथ-साथ अल्पसंख्यक वर्ग के गरीवों को भी आरक्षण दिए जाने की पक्षधर है।