उत्तराखंड

प्रदेश में सक्रिय हुए माओवादी, प्रशासन हुआ परेशान

mauwadi 2 प्रदेश में सक्रिय हुए माओवादी, प्रशासन हुआ परेशान

देहरादून। उत्तराखंड में एक लंबे अरसे से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वालों का सुरक्षा कवच बन रहा है। इसका कारण चीन से नेपाल की 303 किलोमीटर लंबी सीमा तो है ही चीन की 463 किलोमीटर लंबी सीमा भी है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली तथा उत्तरकाशी ऐसे सीमांत जनपद है। जहां अन्तर्राष्ट्रीय सीमा मिलती है।

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उत्तराखंड के साथ सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल ऐसे प्रदेश हैं जहां की भौगोलिक परिस्थितियां समाज विरोधी कार्रवाइयों को संपन्न करने वाले इन अराजक तत्वों के छिपने तथा सीमा पार से अराजक तत्वों का आने का माध्यम बनती है। विकास की दौर में भी पीछे यह क्षेत्र प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से उन लोगों को भौगोलिक परिवेश के कारण संरक्षण देते हैंए जो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। इनमें आतंकीएमाओवादी तथा मादक पदार्थों की बिक्री से जुड़े लोग हैं जिनके लिए उत्तराखंड का पर्वतीय अंचल सबसे आसान तथा मुलायम क्षेत्र है जहां इन पर कोई सघन कार्रवाई नहीं हो रही है। इसी का प्रमाण है कि अब माओवादी गतिविधियों में चुनाव के दौरान अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं।

सरकारी वाहनों में तोडफोड़ तथा चुनाव विरोधी नारे और पोस्टर भी इसी बात की चुगली करते हैं । भले ही प्रदेश सरकार ने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि माओवादी गतिविधियां जारी हैं पर अब पुलिस प्रशासन मानने लगा है कि उत्तराखंड माओवादी सक्रिय हैं। इसका प्रमाण नैनीताल के धारी ब्लाक विकास खंड में सरकारी वाहन में आगजनी व झंडे पोस्टर बैनर मिलने से प्राप्त हुआ है। इतना ही नहीं नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने आधा दर्जन से अधिक लोगों को चिन्हित भी कर लिया है जो इन गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं।

सूत्रों की माने तो इस घटना में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के उत्तराखंड क्षेत्रीय समिति के सचिव विजय पनेरू का नाम प्रमुख है। जिनकी खोज इन दिनों चल रही है। इनके लिए पुलिस की चार टीमें अल्मोड़ाए नैनीताल सहित कई जनपदों में अभियान चला रही हैं। मूल रूप से अल्मोड़ा के सोमेश्वर निवासी विजय पनेरू 2007 में भी ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए थे और उन्हें दोषी माना गया था। यही कारण है कि प्रशासन ने नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक में माओवादियों की गतिविधियों के बाद चंपावत जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

सुरक्षा एजेसियों ने तराई व भाबर के जंगलों में गहन कांबिंग अभियान चलाया और सीमा पर गतिविधियों पर नजर रखी ताकि आरोपी को जल्द ही हिरासत में लिया जा सके। सूत्रों की माने तो अन्य माओवादियों की तलाश में शारदा रेंजए दक्षिणी गुलिया पानीए उत्तर गुलिया पानी आदि जंगलों में संदिग्धों की तलाश में एसओटीएफ और वन विभाग की टीम ने तराई व भावर के जंगलों में सघन निरीक्षण अभियान चलाया गया है। इस अवधि में क्षेत्रवासियों से इनकी जानकारी भी मांगी गई और शत प्रतिशत मतदान का भी आग्रह किया गया। एक लंबे अरसे से कुमाऊ और गढ़वाल का कुछ क्षेत्र लाल घाटी के नाम से जाना जाता था जहां वामपंथी संगठनों और माओवादियों गतिविधिया तेज थीं।

प्रदेश बनने के बाद इन गतिविधियों पर अंकुश लगा या यूं कह लें कि विकास के कारण माओवादी गतिविधियां कम हुईएलेकिन चुनाव में माओवादियों की सक्रियता ने गुप्तचर इकाईयों की नींद उड़ा दी है। जिसके कारण प्रशासन अब मानने लगा है कि क्षेत्र में माओवादियों की उपस्थिति है। पिछले दिनों अल्मोड़ा और सोमेश्वर में चुनाव बहिष्कार और लोकतंत्र विरोधी पोस्टरों से चुनाव में इनकी उपस्थिति का आभास हुआ और अब प्रशासन इन पर नजर रखने लगा है। चीन और नेपाल सीमा से सटे इलाकों में माओवादी गतिविधियां होती रही हैं।

ऐसे ही तत्व अब मतदान को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके कारण शासनतंत्र द्वारा यहां रात्रिकालीन भ्रमण व्यवस्था शुरू कर दी गई है। साथ हीस साथ सुरक्षा बलों ने अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। पिछले दिनों हुई ऐसी गतिविधियों को तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्दू ने विशेष गंभीरता से नहीं लिया था। उनका कहना था कि यह आम घटनाएं हैं जिसके कारण सामान्य औपचारिकता के रूप में रात्रि कालीन भ्रमण तथा सुरक्षा बलों का प्रस्तुतिकरण किया जा रहा था एक बार फिर पूर्व डीजीपी सिद्धू द्वारा नकारी गई व्यवस्थाएं पुनरूप्रशासन की ध्यान में आयी हैं जिसके कारण माओवादी गतिविधियों पर विशेष सतर्कता की आवश्यकता आ गई।

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