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लखनऊः अपनों को फंसाने की साजिश में लोग खुद पर करा रहे हमला

लखनऊः अपनों को फंसाने की साजिश में लोग खुद पर करा रहे हमला

Kumar Vinay

लखनऊ: वर्चस्व की चाह में या फिर प्रतिद्वंदियों को फंसाने और सम्पत्ति के लालच में लोग इस कदर उलझ चुके हैं कि वह अपनों के खिलाफ साजिश रचने लगे हैं। लोग अपनों को आरोपित बनकर खुद पर जानलेवा हमला भी कर रहे है। इसके अलावा सोची-समझी साजिश के साथ पुलिस डिपार्टमेंट को गुमराह भी कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ में कई हाईप्रोफाइल मामले समाने आए हैं। जहां खूनी रिश्तों को फंसाने के लिए लोगों ने खुद पर फायरिंग भी करवाई। जब पुलिस ने निष्पक्ष जांच की तो पता चला कि अपनों पर संगीन आरोप लगाने वाला खुद ही गुनाहगार निकला।

पहली घटना: प्रॉपटी डीलर ने खुद पर चलावाई गोली

29 दिसम्बर 2020 को राजीजीपुरम में एक प्रॉपटी डीलर ने अपने पार्टनर को फंसाने के लिए खुद पर गोली चलवाई थी। इस घटनाक्रम के बाद पर तालकटोरा थाना पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी थी। जांच में पता चला कि प्रॉपटी डीलर ने पैसों के लेनदेन के चलते अपने पार्टनर को फंसाने का प्रयास किया था। इसके बाद पुलिस ने प्रॉपटी डीलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

दूसरी घटना: प्रतिद्वंदियों को फंसाने के लिए सांसद पुत्र ने चलवाई थी गोली

03 मार्च 2021 को मडियांव में बीजेपी सांसद व कैबिनेट मंत्री कौशल किशोर के बेटे आयुष ने अपने प्रतिद्वंदियों को फंसाने के लिए साले की मदद से खुद पर गोली चलवाई थी। इस साजिश में आयुष के साथ उसका साला आदर्श भी शामिल था। अरेस्टिंग के बाद आदर्श ने अपना गुनाह कुबूल करते हुए। इस घटना की सच्चाई पुलिस को बयां की थी। इसके बाद पुलिस ने आदर्श के पास से पिस्टल बरामद की थी। और उसे सलाखों के पीछे भेज दिया था। हालांकि पुलिस ने आयुष के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया था।

तीसरी घटना: चाचा को फंसाने के लिए रची साजिश

28 जून 2021 को रायबरेली जनपद में मुनव्वर राना के बेटे तबरेज राना ने पुलिस को सूचना दी थी। उन पर कुछ अज्ञात बदमाशों ने फायरिंग कर दी। इसके बाद रायबरेली पुलिस ने अज्ञात बदमाशों पर एफआईआर दर्जकर जांच शुरु कर दी। जब पुलिस ने घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी की फुटेज में खंगाली तो पता चला कि इस कहानी का राइटर कोई और नहीं बल्कि मुनव्वर राना का बेटा तबरेज राना ही है। अपने चाचा को फंसाने के लिए तबरेज ने साजिश के तहत खुद पर अपने साथियों से गोली चलवाई थी । इस मामले में चार आरोपितों को अरेस्ट कर उसने पूछताछ की तो पूरी कहानी से पर्दा हट गया। अगले दिन रायबरेली पुलिस रात डेढ़ बजे तबरेज की तलाश में लखनऊ आई थी। लेकिन तबरेज पुलिसकर्मियों के हाथ नहीं लगा। हालांकि, मुनव्वर राना और उनकी बेटियां तबरेज को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहीं हैं। फिलहाल तबरेज पुलिस की पकड़ से कोसों दूर है।

स्पॉट लाइट सिन्ड्रोम की हद

मनोचिकित्सक डॉक्टर सृष्टि ने बताया कि राजनीतिक की चाहत और सस्ती लोकप्रियता के कारण लोग सुर्खियों में रहना चाहते है। इसके पीछे कोई पॉजिटीव कारण नहीं होती है। बताया कि लोग स्पॉट लाइट सिन्ड्रोम के शिकार होते हैं। लिहाजा बिना सोच समझे वो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं।

आईपीसी 120-बी के तहत होती है कार्रवाई

लखनऊ हाईकोर्ट के एडवोकेट रवि अस्थाना के मुताबिक, किसी वारदात को अंजाम देने लिए कॉमन कॉन्सपिरेसी यानि सोची-समझी साजिश भी एक जुर्म है। इस तरह के मामलों में आईपीसी की धारा 120ए और 120बी का प्रावधान है। इन मामलों में आरोपितों की संख्या एक से अधिक होती है। आमतौर पर पुलिस केस डायरी में 120ए का एक्शन लेती है। बताया कि इसमें सह जरुरी नहीं आरोपित खुद किसी वारदात को अंजाम दे। लेकिन किसी भी वारदात में शामिल होना भी एक कानून जुर्म है। उन्होने बताया कि ऐसी साजिश में शामिल होने वाले शख्स को फांसी अथवा उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। इसके अलावा दो साल की कठोर सजा भी जा सकती है। वहीं धारा 120-बी के तहत अपराध करने वाले के बराबर सजा मिलती है। जुर्माना राशि के साथ कम से कम छह महीने के लिए जेल जाना पड़ सकता है।

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