लखनऊ: राजधानी में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या जिला प्रशासन की परेशानियों में इजाफा कर रही है। इसी बीच जिला प्रशासन पर फिर से लापरवाही बरतने का आरोप लगा है।
कोविड महामारी में कोरोना की टेस्टिंग में दिन-रात काम करने वाले लैब टेक्नीशियन रितेश राज मिश्र की गुरुवार को कोरोना से मौत हो गई। वह जिला रैपिड रेस्पॉन्स टीम के साथ भी काम कर रहे थे।
जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
रितेश की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जिला प्रशासन द्वारा लैब टेक्नीशियन रितेश की भर्ती के दौरान घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
कर्मचारी संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि, उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बावजूद केजीएमयू में रितेश की भर्ती में 48 घंटे का समय लगा। उन्होंने कहा कि, रैपिड रेस्पॉन्स टीम के सदस्यों को न तो साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है और न ही उनके लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
कर्मचारी संघ ने की ये मांगें…
संयुक्त कर्मचारी संघ ने कहा कि, अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए कोई बीमा पॉलिसी भी सरकार की तरफ से निर्धारित नहीं है। संघ ने रैपिड रेस्पॉन्स टीम के सदस्यों के लिए निम्न मांगें की हैं:-
- रोस्टरवार ड्यूटी लगाते हुए साप्ताहिक अवकाश की सुविधा।
- रैपिड रेस्पॉन्स टीम के काम का समय और कार्यभार निश्चित करना।
- कोविड-19 में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों एवं उनके परिजनों के लिए लेवल 1,2 और 3 के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच-पांच बेड आरक्षित किए जाएं और निजी अस्पतालों में इलाज पर होने वाला खर्च सरकार उठाए।
- कार्मिकों के परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए एक्टिव क्वारंटाइन की व्यवस्था की जाए।
- रैपिड रेस्पॉन्स टीम के सदस्यों के लिए एन-95 मास्क, ग्लब्स, ट्रिपल लेयर मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड आदि की व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में की जाए।