हरिद्वार कुंभ में आज सोमवती अमावस्या का दूसरा शाही स्नान है, जहां भक्त आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। महाकुंभ के शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़े एक-एक करके गंगा में स्नान करने गए। जिनमें सात सन्यासी अखाड़े, तीन बैरागी और तीन वैष्णव अखाड़े थे। सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा ने हर की पौड़ी पर पहुंचकर गंगा में स्नान किया। वहीं इस मौके पर प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद है।
कोरोना नियमों की उड़ी धज्जियां
शाही स्नान के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं।और सुबह से ही हर की पौड़ी में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। कोरोना काल में हो रहे महाकुंभ में कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और न ही कोई मास्क लगाए नजर आ रहा है। कई साधु कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, बावजूद इसके कोरोना नियमों का पालन कराने में पुलिस अक्षम दिखाई दे रही है।
निगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य
30 अप्रैल तक चलने वाले इस महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कोविड-19 की 72 घंटे पहले तक की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी पड़ेगी। कोरोना महामारी के चलते अब शासन-प्रशासन सख्त है और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। भक्तों के साथ-साथ अखाड़ों के शाही स्नान के लिए कार्यक्रम तय किया गया है। और सभी अखाड़ों को आधा-आधा घंटा स्नान का समय दिया गया है।
जाम हटवाना बनी बड़ी चुनौती
शाही स्नान के चलते उत्तराखंड पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या जाम की बन गई है। इसके लिए पुलिस ने तैयारियां की थी लेकिन बेकाबू भीड़ के आगे पुलिस की तैयारियां बेकार होती दिख रही हैं। बता दें कि पुलिस ने गढ़वाल और कुमाऊं जाने वाले लोगों से हरिद्वार के बजाए अन्य वैकल्पिक रास्तों का उपयोग करने की सलाह दी थी।
कोविड गाइडलाइन को अनदेखा कर रहे लोग
उत्तराखंड सरकार ने महाकुंभ का आयोजन बड़े पैमाने पर किया है, लेकिन कोरोना के बीच लोगों का लापरवाह रवैया प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती बन रहा है। सरकार की ओर से रेलवे स्टेशन और अन्य की जगहों पर रेपिड टेस्टिंग के इतंजाम किए गए हैं लेकिन कई बार ऐसे मामले सामने आए जब लोग स्टेशन से उतरने के बाद सुरक्षाकर्मियों की बातों को अनदेखा कर कोरोना जांच में शामिल नहीं हो रहे हैं।