नई दिल्ली। पाकिस्तान में एक हिंदू दलित महिला ने इतिहास रच दिया है। पाकिस्तान में रहने वाली कृष्णा कुमारी कोहली अपर हाऊस के चुनाव के बाद मुस्लिम बहुल देश में पहली हिंदू महिला सीनेटर बनीं। आइए जानते हैं कौन हैं कृष्णा कुमारी और नजर डालते हैं उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों पर कृष्णा कुमारी को सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की तरफ से पाकिस्तान के सिंध प्रांत में थार से चुना गया है। बिलावल भुट्टो जरदारी की सत्तारूढ़ पार्टी पीपीपी ने अल्पसंख्यक के लिए सीनेट की एक सीट पर उन्हें नामित किया।
बता दें कि सिंध के नगरपरकर जिले के एक दूरदराज गांव की रहने वाली कृष्णा कुमारी कोहली का जन्म साल 1979 में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्हें और उनके परिवार को तीन सालों तक एक जमींदार के यहां बंधुआ मजदूर के रूप में भी काम करना पड़ा था। उन्होंने ‘रन डाउन स्कूल’ में पढ़ाई की थी। पाकिस्तान की एक वेबसाइट के अनुसार कृष्णा कुमारी का कहना है कि उनके घर में बिजली नहीं थी, इसलिए वो लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करती थी। कृष्णा कुमारी ने बंधुआ मजदूरों, कार्यक्षेत्र पर यौन शोषण, महिला अधिकार और ग्रामीण लोगों के हक के लिए कई सामाजिक कार्य किए हैं।
वहीं 16 साल की उम्र में शादी हो जाने के बाद भी शिक्षा नहीं छोड़ी और साइकोलॉजी में मास्टर्स किया। साथ ही उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पीपीपी जॉइन किया था। थार के वंचितों के हक की लड़ाई करते हुए कृष्णा कुमारी कोहली पाकिस्तान में आज जाना पहचाना नाम बन गई हैं। पहली गैर मुस्लिम सीनेटर को नामित करने का श्रेय भी पीपीपी के पास है, जिसने 2009 में एक दलित डॉ. खाटूमल जीवन को सामान्य सीट से सीनेटर चुना था। इसी तरह 2015 में सीनेटर चुने जाने वाले इंजीनियर ज्ञानीचंद दूसरे दलित थे। उन्हें भी पीपीपी ने सामान्य सीट से उतारा था।