“चीन ने लगभग दो महीने पहले (अगस्त में) परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है जिससे अमेरिकी ख़ुफिया तंत्र सकते में आ गया है। अंतरराष्ट्रीय अख़बार फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में ये दावा किया है। अख़बार ने पांच अलग-अलग अनाम सूत्रों के आधार पर ये ख़बर दी है।
हालांकि, चीन ने आधिकारिक तौर पर इस ख़बर का खंडन किया है। चीन ने दावा किया है कि यह (परीक्षण) एक मिसाइल नहीं बल्कि स्पेस क्राफ़्ट का था। हालांकि, चीन के खंडन के बावजूद इस ख़बर ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। अमेरिका, रूस और चीन एक लंबे समय से हाइपरसोनिक हथियार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें एक ग्लाइड व्हीकल को बनाया जाना भी शामिल है। जिसे अंतरिक्ष में एक रॉकेट के साथ छोड़ा जाता है। इसके बाद वो पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है।
वहीं चीन की परमाणु हथियार नीति के विशेषज्ञ एमआईटी प्रोफेसर टेलर फ्रेवल ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ को बताया है कि परमाणु हथियारों से लैस हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में चीन की मदद कर सकता है। फ्रेवल के साथ-साथ दुनिया भर में कई जानकार इस ख़बर पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे भविष्य के लिए एक चेतावनी के रूप में देख रहे हैं। वहीं, कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इसे ज़्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है।
हाइपरसोनिक मिसाइल से आशय उन मिसाइलों से है जो आवाज़ की गति से पांच गुना तेज रफ़्तार से उड़ते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं। लेकिन हाइपरसोनिक हथियारों को उनका विशेष दर्जा उनकी स्पीड से नहीं मिलता है। सेंटर फॉर एयरपॉवर स्टडीज़ से जुड़ीं परमाणु हथियारों की विशेषज्ञ मनप्रीत सेठी बताती हैं, “हाइपरसोनिक एक काफ़ी पुरानी तकनीक है। बैलिस्टिक मिसाइलें भी ध्वनि की गति से तेज चलती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि हाइपरसोनिक मिसाइल का एक्स फैक्टर या ख़ास बात क्या है।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ राहुल बेदी इस मिसाइल की मारक क्षमता को समझाते हुए कहते हैं, “हाइपरसोनिक मिसाइल पिछले 30-35 सालों की सबसे आधुनिक मिसाइल तकनीक है। इसके तहत पहले एक व्हीकल मिसाइल को अंतरिक्ष में लेकर जाता है। इसके बाद मिसाइल इतनी तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं कि एंटी मिसाइल सिस्टम इन्हें ट्रैक करके नष्ट नहीं कर पाते।”