नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। वकील जी प्रकाश के जरिए दायर याचिका में केरल सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया है। केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से उन दिशा-निर्देशों को वापस लेने की मांग की है।
केरल सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश मध्यप्रदेश सरकार बनाम रामकिशन बालोथिया के फैसले के उलट है जिसमें कहा गया है कि जब भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो कुछ निहित स्वार्थी लोग उन्हें डराने की कोशिश करते हैं। ऐसी स्थिति में आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं देना संविधान की धारा 14 का उल्लघंन नहीं माना जाएगा। केरल सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को रामकिशन केस को देखते हुए इसे बड़ी बेंच को रेफर कर देना चाहिए था।
इससे पहले केंद्र सरकार एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर चुकी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि फैसले पर पुनर्विचार हो, फैसले से देश में अफरातफरी और सौहार्द बिगड़ गया है। केंद्र ने कहा है कि कोर्ट के फैसले ने मुख्य कानून की धाराओं को कमजोर कर दिया है। ये फैसला संविधान में दी गई शक्तियों के बंटवारे का उल्लंघन है। फैसला का हालिया आदेश कानून का उल्लंघन, इस आदेश ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट से तुरंत गिरफ्तारी पर रोक का आदेश वापस लेने की मांग की है और कहा है कि कोर्ट कानून में इस तरह बदलाव नहीं कर सकता। कानून बनाना संसद का अधिकार है। संज्ञेय अपराध में एफआईआर पुलिस का काम है। डीएसपी की प्राथमिक जांच के बाद एफआईआर का आदेश गलत है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर दिए गए दिशा-निर्देशों पर कोई रोक लगाने से इनकार किया था। केंद्र सरकार के रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि हम एससी, एसटी एक्ट के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इस एक्ट के जरिए बेगुनाहों को सजा नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई से पहले शिकायत की पड़ताल कर ली जाए तो इसमें क्या दिक्कत है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना पक्ष लिखित रुप में दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करनेवालों ने फैसला पढ़ा भी नहीं होगा। इन प्रदर्शनों के पीछे स्वार्थी तत्व हैं । हमारी चिंता उन बेकसूर लोगों को लेकर है जो बिना किसी गलती के जेल में हैं। हमारी चिंता एक्ट के दुरुपयोग को लेकर है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि बिना वेरिफिकेशन के गिरफ्तारी का सरकार विरोध क्यों कर रही है।