नई दिल्ली। देश में पर्वों और त्यौहारों का मौसम आ गया है। हर तरफ सावन के बाद हरियाली छाई है, ऐसे में पर्वों की अभूतपर्व श्रृंखला भी शुरू हो गई। नवरात्र और विजयादशमी के बाद अब चंद्र दर्शन के साथ कार्तिक माह का आरम्भ हो जायेगा। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन से हमारे यहां शरद ऋतु का आगमन होता है। प्रकृति में भीनी-भीनी ठंडक का आना शुरू हो जाता है। चारों ओर हरियाली बिखरी होती है। ऐसे में हम पर्वों और त्यौहारों के जरिए इसका स्वागत करते हैं।
नवरात्रि और विजयादशमी के बाद आने वाले पर्व शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन आकाश से बिखरने वाली चंद्रमा की किरणें धरती पर मध्य रात्रि में अमृत की वर्षा करती हैं। इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है ज्योतिष के साथ वैक्षानिक तथ्य भी इस बात को मानते हैं।
1- अगर आपके शरीर की इंन्द्रियां शिथिल हो गई हैं तो इस दिन आप चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर को खाएं । इससे आपकी इन्द्रियां उर्जावान हो उठेंगी।
2- कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और माता लक्ष्मी की आराधना के साथ देव वैद्यराज अश्विनी कुमारों का भी पूजन करने से आपकी इन्द्रियों में ओज और तेज बना रहता है।
3- अगर आपकी आंखों की रोशनी कम होती जा रही है तो इस दिन चंद्रमा को देखें 15 से 20 मिनट देखने के बाद आपको अपनी आंखों में फर्क आयेगा।
4- अस्थमा के मरीजों के लिए ये रात वरदान से कम नहीं होती है। इस दिन चंद्रमा की ज्योत्सना में इन्हें रहना चाहिए और चांदनी में रखी खीर का सेवन करना चाहिए । इससे इनको अस्थमा में विशेष लाभ मिलेगा।
5- कहते हैं कि ज्वार और भाटा चंद्रमा की गतिविधियों के कारण होते हैं। यानी चंद्रमा का जल पर और उनके स्वभाव पर राज होता है। ऐसे में हमारे शरीर में मौजूद जलीय तत्वों पर भी चंद्रमा की ये दशा लाभ पहुंचने में सहायक होगी।
6- शरद पूर्णिमा के दिन कामक्रीड़ा नहीं करनी चाहिए वरना संतति है कि संतान अपंग या बिमार पैदा होती है।
7- शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की रौशनी में सूई में धाना डालने से आंखों की रौशनी बढ़ती है।