एजेंसी, जम्मू। सुरक्षा बलों की सख्ती और राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद कश्मीर मे आतंक की राह पकड़ रहे युवाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 23 दिनों में दक्षिण कश्मीर से 11 युवक लापता बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि ये युवक आतंकियों के साथ मिल गए हैं। कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन और उनके ओवरग्राउंड वर्कर युवाओं को फुसलाकर आतंक की राह पर ले जाने के लिए सक्रिय है।
सूत्रों के मुताबिक लापता युवकों में से सात पुलवामा, एक शोपियां और तीन कुलगाम जिले के रहने वाले हैं। इनमें से दो युवकों के पिता कथित तौर पर रिटायर्ड फौजी रहे हैं जबकि एक युवक का बड़ा भाई आदिल शाह हिजबुल मुजाहिदीन का नामी कमांडर था और वह जून 2014 में अपने दो साथियों संग त्राल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। गौरतलब है कि पुलिस, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां आतंकी बनने वाले स्थानीय युवकों की घर वापसी के लिए लगातार अभियान चला रही हैं।
सरकार और सुरक्षाबल आतंकी बनने वाले स्थानीय युवकों की घर वापसी को प्रोत्साहित करते हुए उनके पुनर्वास के लिए प्रयास कर रहे हैं। आतंकियों और ओवरग्राउंड नेटवर्क द्वारा चिह्नित युवकों का पता लगाकर उनकी काउंसलिग भी की जा रही है। ताकी आतंकी की राह न पकड़े। हालांकि अभी तक इनके आतंकी बनने की पुष्टि नहीं हुई है पर इनमें से कुछ युवकों के फोटो हथियारों सहित सोशल मीडिया पर चल रहे हैं।
संबधित अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। गौरतबल है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक, राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिह और सेना अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस साल स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती की प्रक्रिया लगभग थम चुकी है। मात्र दो-चार लड़के ही आतंकी बने हैं। ऐसे में इस तरह की खबर सरकार के लिए परेशानी का सबक बन सकती है।