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बिहार में कन्हैया लाल ने निकाली  ‘संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ’ रैली, मोदी मुर्दाबाद के लगे नारे

कन्हैया कुमार 1 बिहार में कन्हैया लाल ने निकाली  'संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ' रैली, मोदी मुर्दाबाद के लगे नारे

पटना। पूरे बिहार में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ जन-गण-मन यात्रा निकालने वाले कन्हैया कुमार ने पटना में एक बड़ी रैली की। अपनी यात्रा के समापन समारोह के रूप में कन्हैया ने पटना के प्रसिद्ध गांधी मैदान में ‘संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ’ रैली आयोजित की। तमाम सामाजिक हस्तियों के बीच कन्हैया कुमार के मंच पर जहां पीएम मोदी के खिलाफ जमकर भाषण कराए गए, वहीं कन्हैया कुमार ने मंच पर ही एक ऐसे बच्चे को उतार दिया जिसने पीएम के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी किया। रैली के बीच इस बच्चे के भाषण का कन्हैया ने विरोध नहीं किया, बल्कि बाद में समर्थन के लिए उसे गोद में उठाकर जनता का अभिवादन करने लगे।

संविधान बचाओ नारे के साथ आयोजित रैली में मंच पर खड़े इस बच्चे ने भीड़ के बीच आजादी के नारे लगाते हुए कई बातें कहीं। इस दौरान इस बच्चे ने यह भी कहा कि अगर भारत में ताजमहल और लालकिला ना होता तो क्या पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति को गाय और गोबर दिखाते? मंच पर खड़ा बच्चा किसी कट्टरपंथी सभा की तरह नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुस्से के शब्द बोलता रहा और कन्हैया समेत तमाम मंचासीन अतिथि उसे सुनते रहे। बाद में मंच पर भाषण देने के बाद वापस जा रहे इस बच्चे को कन्हैया ने गोद में उठा लिया और फिर जनता के बीच उससे अभिवादन भी कराया।

इस बच्चे के भाषण के बाद कन्हैया खुद भी मंच पर आए और सीएए-एनआरसी और दिल्ली हिंसा के मुद्दों पर पीएम मोदी की जमकर आलोचना की। अपने भाषण में कन्हैया ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए लोगों से राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती का अनुकरण करके उनके एजेंडे को हराने का संकल्प करने का आह्वान किया। कन्हैया ने बिहार विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव पर भी नाखुशी जताई। कन्हैया ने कहा सरकार और विपक्ष दोनों खुद को बधाई देने में व्यस्त हैं। मैं अपनी बधाई भी देता हूं। लेकिन उन सभी के लिए जो यहां मौजूद हैं, मैं कहूंगा कि यह आधी जीत है। जब तक एनपीआर की कवायद वापस नहीं ले ली जाती,हम गांधी के सविनय अवज्ञा से सबक हासिल कर अपने आंदोलन को विफल नहीं होने देंगे।

सब के मूल में कन्हैया कुमार मंच पर मौजूद तमाम वक्ताओं के जरिए ही अपने उस अजेंडे को लोगों के बीच में रखने का प्रयास करते रहे, जिससे कि वह सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी बनकर दिखाई दे सकें। इस कोशिश में कन्हैया ने वामपंथी विचारधारा के तमाम वक्ताओं को तो इस्तेमाल किया ही, साथ ही एक ऐसे बच्चे से भी आजादी के नारे लगवा दिए, जिसकी उम्र 14-15 साल की हो। छोटा सा बच्चा गुस्से से मोदी मुर्दाबाद का नारा लगाता रहा तो कन्हैया ने इसका भी समर्थन किया।

बाद में तमाम वक्ताओं ने संविधान बचाने के नाम पर अपने भाषण में सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना ही की। कुल मिलाकर कन्हैया की संविधान बचाओ रैली का मूल मोदी विरोध का वह अजेंडा ही रहा, जिसके लिए वह जाने जाते रहे हैं। हालांकि कन्हैया ने इस बार अपने मंच से खुद को एक ऐसे चेहरे के रूप में भी प्रशस्त करने की कोशिश की, जिसपर बिहार के वोटर भी किसी तीसरे फ्रंट के रूप में दांव लगा सकें। लेकिन इन सब के बीच कन्हैया उस मर्यादा का ध्यना रखना भूल गए, जो कि देश के पीएम के लिए किसी भी शब्द का इस्तेमाल करते वक्त रखने को जरूरी थी।

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