तालिबान में लागू शरिया कानून का असर अब भारत में भी देखने को मिल रहा है। जिसको लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी का एक बायान सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा कि लड़कियों और लड़को की पढ़ाई अलग होनी चाहिए। उनका कहना है कि अनैतिक आचरण से दूर रहने के लिए ये बहुत जरूरी है कि लड़कियों और लड़कों की पढ़ाई अलग होनी चाहिए। उनका कहना है कि साथ में पढ़ाई कराए जाने का कॉन्सेप्ट खत्म होना चाहिए।
बता दें कि मामले में जमीयत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संगठन की कार्यसमिति की बैठक में मदनी ने यह टिप्पणी की। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि गैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज करना चाहिए। ताकि वो अनैतिकता की चपेट में ना आएं। वहीं मदनी ने गैर मुस्लिमों से भी अपील की है कि वह भी सह-शिक्षा से परहेज करें।
अरशद मदनी ने कहा कि लड़कियों के लिए अलग स्कूल खोले जाएंगे। लड़के-लड़कियों को एक साथ ना पढ़ाया जाए। गैर मुस्लिम स्कूलों में भी सह-शिक्षा बंद हो। मॉब लिचिंग की घटनाएं सनयोजित साजिश है। वहीं मदनी के इस बयान से सियासत भी गर्म हो गई है। कुछ लोग उनके बयान का स्वागत कर रहे तो वहीं मोदी सरकार में कांद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी का कहना है कि हिंदुस्तान संविधान से चलता है शरियत से नहीं, और जो लोग शरियत का डंड़ा चलाकर संविधान पर हमला कर हैं वह कभी सफल नहीं होंगे। नक़वी ने मदनी पर हमला करते हुए कहा कि ऐसे लोग लड़कियों की स्वतंत्रा के खिलाफ होते हैं। यो लोग तय नहीं करेंगे की लड़कियां कहां पढ़ेंगी और कहां नहीं। इस ने ना तो कभी इस तरह की मानसिक्ता को कबूल किया है और ना ही कभी करेगा।