अगर आप भी अमेरिका जाकर नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, तो उससे पहले ज़रा इस खबर को ध्यान से पढ़ लें। अब भारतीयों को अमेरिका की नागरिकता पाना ज्यादा मुश्किल हो गया है। यह हम नहीं बल्कि यूएस डाटा कह रहा है, जिसके अनुसार पिछले तीस सालों में अमेरिका इस मामले में सबसे ज्यादा सख्त हुआ है।आंकडों के मुताबिक साल 2008 में उसने 65,971 लोगों को नागरिकता दी थी। 1995 से 2000 के बीच हर साल लगभग 12,00,00 कुशल कामगार अमेरिका जाते थे।
साल 2017 में अमेरिका ने 49,601 भारतीयों को नागरिकता दी है। वहीं साल 2014 में यह आंकड़ा काफी कम था। उस साल सबसे कम 37,854 भारतीयों को नागरिकता मिली थी। 2014 से 2017 के बीच इमीग्रेशन में भी काफी कमी आई है। इस मामले के जानकारों का कहना है कि H-1B मामले को देखते हुए अब कंपनियां नीतियों में हुए बदलाव को ध्यान में रखते हुए काफी सावधानी बरत रही हैं। ऐसे में अमेरिका को अब पहले के मुकाबले कम भारतीय इंजीनियरों की जरूरत है।
1990 से भारत ऐसा तीसरा देश था जिसे अमेरिकी नागरिकता मिला करती थी। पहले नंबर पर चीन और मैक्सिको था। अधिकतर भारतीयों को उच्च कौशल के आधार पर वर्क वीजा मिलता था, लेकिन इमीग्रेशन में कमी आने के बाद अमेरिका में भारतीय इंजीनियरों और एमबीए प्रोफेशनल्स की मांग घट गई और वहां की कंपनियां अपने नागरिकों को तवज्जो देने लगीं। इमीग्रेशन वकील मार्क डेविस ने बताया कि जब अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी ने उदारता दिखाई था तब बड़ी संख्या में भारतीय यहां आन लगे थे।