अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की सक्रियता को वैसे तो बहुत से देशो के लिए चिंता का विषय है क्योंकि पूरे विश्व में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकी संगठनो की संख्या अधिक है। इन दोनों के संगठन से यानी अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की सक्रियता को लेकर अमेरिका नापसंद करता आया है। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से अभी तक पाकिस्तान को कोई फोन कॉल नहीं किया गया। फोन कॉल तो नहीं आया, लेकिन पाकिस्तान के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री का संदेशा जरूर आया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ने कहा कि, “हमें जिस चीज़ पर सबसे ज़्यादा ध्यान देना है, वो ये है कि पाकिस्तान सहित हर देश को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास वो सब है, जिसकी तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को आवश्यकता है। वहीं, पाकिस्तान को उन सभी लक्ष्यों पर काम करने और उन अपेक्षाओं को बनाए रखने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बहुमत के साथ खड़े होने की ज़रूरत है” इसके अलावा
एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को वहाँ की फॉरेन रिलेशंस कमेटी को कहा कि, अमेरिका आने वाले दिनों में पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करने जा रहा है।
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की सक्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगया जा सकता है कि पंजशीर में तालिबान के खिलाफ जब विद्रोह जारी था। तो इस मामले में भी तालिबान को मदद करने के आरोप पाकिस्तान पर लगे हैं। जिसे पाकिस्तान ने ख़ारिज कर दिया था। इसके अलावा तालिबान की अंतरिम सरकार में मुल्ला बरादर का उप-प्रधानमंत्री बनना और सिराजुद्दीन हक़्क़ानी का गृह मंत्री बनना भी पाकिस्तान के हस्तक्षेप का नतीजा माना जाता है। साथ ही अफगानिस्तान की रोडो पर भी लोग पाकिस्तान के हस्तक्षेप के विरोध में कई बार उतरे थे।
इस मामले में अमेरिका पाकिस्तान की सभी घटनाक्रम पर नजरे बनाए बैठा है और इस वजह से ब्लिंकन से जब पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर सवाल पूछा गया। तो जवाब में नए सिरे से विचार करने की बात कह कही थी। इसके अलावा अब
पाकिस्तान में इस समय मौजूद वरिष्ठ पत्रकार नदीम रज़ा ने कहा हैं कि 2001 के पाकिस्तान और 2021 के पाकिस्तान में बहुत फर्क है। अफगानिस्तान में किस देश का क्या किरदार रहा, इस पर सवाल अमेरिका से पूछने की ज़रूरत है। ये पहली बार नहीं हो रहा। 80 के दशक में रूस के अफ़ग़ानिस्तान से जाने के बाद भी अमेरिका ने पाकिस्तान को छोड़ दिया था। जब-जब अमेरिका ने वहाँ से हाथ खींचे हैं, पाकिस्तान में माहौल ख़राब हुआ है. हज़ारों लोग की धमाकों में मौत हुई।” अन्य वाक्य में कहा कि “अमेरिका 20 साल अफ़ग़ानिस्तान में रहा। तालिबान के साथ दोहा में समझौता अमेरिका ने किया। फिर पाकिस्तान पर आरोप क्यों? 2001 में जिस सरकार को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला गया, उसी को बाद में सत्ता थाली में रख के देने वाला कौन है?”