नाम सुनकर ही अजीब लगता है नरक का दरवाजा। लेकिन, तुर्कमेनिस्तान में एक जगह या कहें जमीन करीब 50 साल से धधक रही है।
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हर साल बड़ी तादाद में टूरिस्ट इस जगह को देखने आते हैं। इसे नरक का दरवाजा (Gates of Hell) कहा जाता है। अब देश के राष्ट्रपति गुर्बेनगुली बर्डेमुखामदोव ने आदेश दिया है कि इस टूरिस्ट साइट को बंद कर दिया जाए।
नर्क़ के इस दरवाजे की कहानी
तुर्कमेनिस्तान में इसे दरवाजा क्रेटर भी कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि यह कस्बे में यह जगह है उसका नाम दरवाजा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कहानी 1970 के आसपास शुरू होती है। सोवियत संघ के वैज्ञानिक यहां नैचुरल गैस के भंडार खोजने के लिए खुदाई कर रहे थे। इसी दौरान एक गड्ढे से आग निकलनी शुरू हुई। वातावरण में यह गैस न पहुंच जाए। यह सोचकर इस गड्डे को बंद करने की कोशिश की गई। लेकिन, इसमें पूरी कामयाबी नहीं मिल सकी।
बड़ा गड्ढा तो बंद हो गया, लेकिन एक बड़े इलाके में छोटे-छोटे छेदों से गैस निकलती और जलती रही। यहां एक बड़ा गड्ढा या कहें क्रेटर बन गया। यह करीब 230 फीट चौड़ा और कई फीट गहरा हो चुका है।
क्रेटर को बंद करने की जरूरत क्यों ?
राष्ट्रपति गुर्बेनगुली ने कैबिनेट से कहा है कि इसे बंद करने का तरीका खोजा जाए। सरकार का मानना है कि इस आग की वजह से आसपास रहने वाले लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है। पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और नैचुरल गैस रिर्सोर्स खत्म हो रहे हैं।
खोजे जा रहे बंद करने के तरीके
सरकार का कहना है कि देश के वैज्ञानिक इस जगह को बंद करने के तरीके खोज रहे हैं। अगर इसमें कामयाबी नहीं मिली तो दूसरे देशों के वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी। वैसे, तुर्कमेनिस्तान की आय का एक अहम जरिया यही नैचुरल गैस है। जाहिर है सरकार अब इस सोर्स को बर्बाद नहीं करना चाहेगी।
फिजूलखर्ची के लिए जाने जाते हैं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति गुर्बेनगुली 2006 से सत्ता में हैं। उन्हें गोल्ड यानी सोने और महंगे मार्बल आर्किटेक्चर का शौकीन माना जाता है। राजधानी असगाबत में महंगी इमारतें बनाने पर बेहिसाब पैसा खर्च किया गया। राष्ट्रपति को शेफर्ड डॉग्स का शौक है तो राजधानी में इसकी एक बड़ी गोल्ड स्टेच्यू ही बनवा दी। इतना ही नहीं इसे देश के प्रतीक चिन्हों में से एक करार दिया। कुत्तों पर एक किताब भी लिखी और इसे रूसी राष्ट्रपति पुतिन को भेंट भी किया।
यहां प्रेस को बहुत आजादी नहीं है। रिपोर्टर्स विदाउद बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस फ्रीडम के मामले में तुर्कमेनिस्तान का स्थान 180 देशों में से 178वां है।