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कुलभूषण जाधव केस में रंग ला रही भारत की मुहिम, पाकिस्तान ने संसद में पेश किया अध्यादेश 

Kulbhushan Jadav कुलभूषण जाधव केस में रंग ला रही भारत की मुहिम, पाकिस्तान ने संसद में पेश किया अध्यादेश 

पाकिस्तान की क़ैद में बंद कुलभूषण जाधव मामले में भारत ने जो मुहिम चलाई है वो अब रंग लाती दिखाई दे रही है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की कैद में बंद कुलभूषण जाधव मामले में भारत ने जो मुहिम चलाई है वो अब रंग लाती दिखाई दे रही है। पाकिस्तान सरकार ने अंतराष्ट्री न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दलों के विरोध के बाद भी नेशनल असेंबली में एक अध्यादेश दिया। इस अध्यादेश के अंदर सैन्य कोर्ट ने जो फैसला लिया है उसकी समीक्षा करने के लिए याचिका दाखिल की जा सकती है।

बता दें कि भारतीय नौसेना के 50 साल के अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैना ने अप्रैल 2017 में जासूस और आतंकवादी होने के आरोप में सजाए मौत सुना दी थी। जिसके बाद भारत ने जाधव को पाकिस्तान के चंगुल से बचाने और राजनयिक पहुंच से इंकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था।  जिसके  बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की समीक्षा और पूनर्विचार अध्यादेश 2020 जाधव को सैन्य अदालत के फैसले को इस्लामाबाद कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार दिया था।

वहीं हेग में स्थित आईसीजे ने जुलाई में जाधव को लेकर फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव की सजा पर फिर से सोच विचार करना चाहिए और बिना देर किए भारत को राजनयिक पहुंच दी जानी चाहिए। जियो टीवी की खबर के अनुसार कानून के तहत संसद में अध्यादेश पेश होना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार बाबर अवान ने संसदीय मामलों पर अध्यादेश निचले सदन में पेश किया।

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साथ ही पिछले हफ्ते विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इमरान के इस तरह के इरादे को नकाम कर दिया था और सदन में कोरम नहीं होने का उल्लेख देते हुए वॉकआउट किया था। वहीं कानून मंत्री एफ नसीम ने विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर राजनीति करने से बचने की अपील की थी। साथ ही उन्होंने चुनौती दी थी कि अगर संयुक्त राष्ट्र के फैसले को लागू नहीं किया गया तो भारत इस मामले को संयुक्त राष्ट्र के सामने रखेगा।

पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। जिसमें मांग की गई थी कि जाधव को कानूनी प्रतिनिधि नियुक्ति दी जाए। हांलाकि पाकिस्तान ने जब अध्यादेश संसद में पेश किया तो पाकिस्तान ने भारत या किसी भी प्रमुख पक्षों से परामरेश नहीं किया। जिससे ये साबित होता है कि पाकिस्तान की नियत में अभी भी खोट है।

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