दुबई। दुबई में सैलरी बढ़ाने की मांग करना 70 भारतीयों को इस कदर महंगा पड़ गया के उन्हें दुबई सरकार ने देश से बाहर का रास्ता दिखाते हुए वापस भारत भेज दिया। दुबई से डिपोर्ट किए गए ये 70 भारतीय आज सुबह वापस स्वदेश लौट आए। भारत लौटे लोगों में बठिंडा के रहने वाले हरप्रीत सिंह ने बताया कि उनकों वहां पर कम वेतन दिया जा रहा था और उन लोगों के साथ ज्यादा वेतन देने को लेकर भी बात हुई थी इसलिए जब वेतन नहीं बढ़ाया गया तो कुछ लोगों ने वहां पर हड़ताल कर दी। हड़ताल को लेकर कंपनी ने सभी कामगरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वहां की सरकार से शिकायत कर दी, जिसके बाद कतर सरकार ने हमें दुबई में रहने के लिए मना करते हुए भारत वापस डिपोर्ट कर दिया।
हरप्रीत ने बताया कि भले ही वे इस हड़ताल में शामिल नहीं था,लेकिन वहां पर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई और उसके दुबई में रहने के अधिकार को समाप्त करते हुए वापस भारत डिपोर्ट कर दिया गया। उसने बताया कि वो दुबई में स्थित भारतीय कंपनी जीबीएच इंटरनेशनल में कारपेंटर का काम करता था। कंपनी द्वारा जब उन्हें दुबई ले जाया गया तो उन्हें वहां वेतन के रूप में प्रतिमाह 1100 दिनार देने का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें सिर्फ 840 दिनार ही प्रतिमाह वेतन के रूप में मिलते थे। कुछ लोगों ने जब इसका विरोध किया तो उनकी वहां कोई भी सुनवाई नहीं की गई। इस कारणवश कई साथियों ने वहां पर एक दिन की हड़ताल कर दी।
हरप्रीत ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि वहां बिहार का रहने वाला उनका एक साथी जेसीबी पर चढ़कर काम कर रहा था, इस दौरान वो गिर पड़ा और उसकी टांग टूट गई। इस बारे में कंपनियों के अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन उन लोगों ने इस मामले में कोई सूद नहीं ली और बिहार का हमारा साथी दर्द से करहारता हुआ लगभग 4 घंटे तक वहीं पड़ा रहा। हरप्रीत ने बताया कि कंपनी को डर था कि अगर उसको नीचे उतार लिया गया तो बात पुलिस तक पहुंचेगी और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस कारण चार घंटे तक वह टूटी टांग के जेसीबी के उपर ही रहा और बाद में उनको अपनी निजी गाड़ी में अस्पताल पहुंचाया गया।