वाशिंगटन। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के अमेरिकी दौरे में बड़ा करार हुआ है जिसके तहत भारत, दुनिया के किसी भी अमेरिकी एयरबेस का इस्तेमाल कर सकेगा। इसके साथ ही भारतीय मिलिट्री एयरबेस पर अमेरिकी विमान भी उतर सकेंगे। इस करार के बाद दोनों देश रक्षा क्षेत्र में साजो-सामान संबंधी निकट साझेदार बनेगें और दोनों सेना मरम्मत एवं आपूर्ति के संदर्भ में एक दूसरे की संपदाओं और अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगी।
साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते यानि लॉजिस्टिक पैक्ट पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि यह समझौता व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान के लिए अवसर प्रदान करेगा। बता दें दोनों देशों के बीच एक दशक से ज्यादा समय तक चर्चा चलने के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं।
गौरतलब है कि पेंटागन में दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। इसके बाद कार्टर के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेस में पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा, भारत में किसी भी सैन्य अड्डे को स्थापित करने या इस तरह की किसी गतिविधि का कोई प्रावधान नहीं है। एलईएमओए भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच प्रतिपूर्ति के आधार पर साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति और सेवाओं का प्रावधान करता है। यह इनके संचालन की रूपरेखा उपलब्ध कराता है।
इसमें भोजन, पानी, घर, परिवहन, पेट्रोल, तेल, कपड़े, चिकित्सीय सेवाएं, कलपुर्जे, मरम्मत एवं रखरखाव की सेवाएं, प्रशिक्षण सेवाएं और अन्य साजो-सामान संबंधी वस्तुएं एवं सेवाएं शामिल हैं। पर्रिकर ने कहा, मूल रूप से यह इस बात को सुनिश्चित करेगा कि दोनों नौसेनाएं हमारे संयुक्त अभियानों एवं अभ्यासों में एक दूसरे के लिए मददगार साबित हो सकें।