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यूपी विस चुनावः अकेले चुनाव लड़ेगी आरएलडी

rld यूपी विस चुनावः अकेले चुनाव लड़ेगी आरएलडी

लखनऊ। कांग्रेस, सपा और आरएलडी के विलय की खबरों को आरएलडी ने खारिज कर दिया है। पार्टी की ओर से साफ किया गया है कि आरएलडी आागमी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह ने महगठबंधन में विलय की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक दोनों पार्टियों में एक होने की सुलह पर हुए विचार पर सहमति नहीं बना पाई है।

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता किरणमय नन्दा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विस चुनावों में कांग्रेस के अलावा किसी भी दल से कोई गठबन्धन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ 2017 ही नहीं बल्कि 2019 भी है। हमारी ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सपा 300 प्लस और कांग्रेस 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

किरणमय नन्दा ने साफ कहा, हमारी पार्टी ने प्रथम और दूसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर लिए हैं और बहुत जल्द ही इसकी घोषणा की जायेगी। कांग्रेस भी प्रत्याशियों की सूची को अन्तिम रूप दे रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अपना चुनावी घोषणा पत्र भी तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गठबन्धन का ऐलान होने पर इसे जारी करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर सम्भावना हुई तो इसमें कांग्रेस के भी कुछ मुद्दों को शामिल किया जा सकता है।

इससे पहले माना जा रहा था कि सपा, कांग्रेस और रालोद सहित कुछ अन्य दल गठबन्धन का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन सीटों का पेंच फंस जाने के कारण बाकी दल इसमें शामिल नहीं हुए। हालांकि किरणमय नन्दा की ओर से यह भी कहा गया कि रालोद से बात भी नहीं हुई है। दरअसल सपा की तरफ से रालोद और जद (यू) से किसी प्रकार के गठबन्धन को लेकर कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई गई।
समाजवादी पार्टी की मंशा थी कि सिर्फ 100 सीटों पर पूरा गठबंधन हो। ऐसे में कांग्रेस को नुकसान हो रहा था। इसलिए रालोद को गठबन्धन से दूर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा था। रालोद की ओर से 30 सीटे मांगी जा रहीं थीं। ऐसे में बीच का कोई रास्ता नहीं निकल पाया। चर्चा है कि कांग्रेस की तरफ से रालोद को अधिकतम 20 सीटों का ऑफर दिया गया, जो कि उसको मंजूर नहीं था। जाहिर है ऐसे में अन्य दलों के भी गठबन्धन में शामिल होने की गुंजाईश नहीं थी, इसलिए मामला केवल सपा और कांग्रेस पर ही सिमट गया।

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