नई दिल्ली। 10 मई, 1857 का दिन भारत के इतिहास में सुहनरे पन्नों में दर्ज हो चुका है भारतीय वीरों ने अपने शौर्य की कलम को रक्त में डुबो कर काल की शिला पर अंकित आज ही के दिन यानि की 10मई 1857 में को ही किया था। साफ शब्दों में कहा जाए तो प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 10मई को ही शुरू हुआ था जिसनें ब्रिटिश साम्राज्य को कड़ी चुनौती देकर उसकी जडे़ं हिला दी थीं और उनके मन में डर और खौंफ पैदा कर दिया था। लेकिन आज हम आपको 10 मई, 1857 की कहानी नहीं सुनाने जा रहे बल्कि आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यो लालकिला बना था 1857 की क्रांति का केन्द्र।
10 मई 1857 की क्रांति की शुरुआत
10 मई 1857 को मेरठ में क्रांति की शुरुआत हुईं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों ने अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ़ खुला विद्रोह कर दिया तब यह आन्दोलन मेरठ से बढ़ते हुए 11 मई को दिल्ली (Delhi) में प्रवेश कर गया और उन्होंने मुगल साम्राज्यके अंतिम बादशाह बहादुर शाह द्वितीय को हिंदुस्तान का सम्राट घोषित किया इससे अंग्रेज़ी शासन को बहुत बड़ा धक्का लगा लेकिन अंग्रेजों ने 21 सितंबर 1857 दिल्ली पर फिर अधिकार कर लिया।
इस आन्दोलन में हजारों लोगों की जान गई थी और अंग्रेजों ने बहादुर शाह द्वितीय को भी गिरफ़्तार कर लिया। बहादुर शाह को गिरफ़्तार करने के बाद उन पर लाल किले में ही जनवरी 1858 में दीवान-ए-ख़ास में मुकदमा चलाया गया। आपको बता दें कि बादशाह के खिलाफ़ लगभग 40 दिनों तक मुकदमा चला और उन्हें देश निकाले की सज़ा दी गई। बहादुरशाह को रंगून भेज दिया था इसके साथ ही कई स्वतंत्रता सेनानियों पर लाल किले में मुकदृमा चलाया गया था क्योंकि लाल किले उस समय की सबसे महत्वपूर्ण इमारत थी तभी से लाल किला खास हुआ और जब देश आजाद हुआ तो सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया।
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