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हिंदी सिनेमा जगत में स्वाधीनता पर बनी बड़ी फिल्में, जिसने कराया आजादी से रुबरू

देश प्रेम पैदा करने वाली फिल्में हिंदी सिनेमा जगत में स्वाधीनता पर बनी बड़ी फिल्में, जिसने कराया आजादी से रुबरू

नई दिल्ली।  हिंदी सिनेमा जगत जहां एक तरफ लोगों को खूब इंटरटेन करता है तो वहीं दूसरी तरफ वो कई ऐसी फिल्में भी बना चुका है जो लोगों के अंदर देश भक्ति की भावना को पैदा करता है। आज से नहीं बल्कि इतिहास के समय से ही भारतीय सिनेमा लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना भरने में सहायक रहा है। सभी इस बात से इत्तिफाक रखेंगे कि भारतीय सिनेमा ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान काफी अहम रोल अदा किया था।

हिंदी सिनेमा जगत में स्वाधीनता पर बनी बड़ी फिल्में
हिंदी सिनेमा जगत में स्वाधीनता पर बनी बड़ी फिल्में

जितनी मेहनत उस दौरान स्वतंत्रता सैनानियों ने की थी उतनी ही मेहनत भारतीय सिनेमा ने भी की थी। भारतीय सिनेमा न केवल उस दौरान प्रचार प्रशार में भूमिका अदा करता था अपितु आज भी लोगों के अंदर देश प्रेम की भावना को पैदा करता है। आज की पीढ़ी को देश की आजादी के समय लड़ी गई लड़ाई को अगर किसी ने रुबरू कराया है तो वो भारतीय सिनेमा ही है। आइए जानते हैं कि स्वाधानता संग्राम से जुड़ी उन फिल्मों के बारें में-

आज की पीढ़ी को उस दौर का समय आभास कराने के लिए भारतीय सिनेमा हमेशा अपना योगदान देता आया है। समय समय पर ऐसी फिल्में बनाई जाती हैं जो न केवन देश प्रेम की भावना को पैदा करता है बल्कि उस समय से रुबरू कराता है। गांधी, शहीद, अइराती तोल्लायिराति इरपति ओन्नु हकीकत जैसी अनेको ऐसी क्लॉसिकल फिल्में हैं जो लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना को पैदा करता है।

स्वाधीनता को लेकर बनी बड़ी फिल्मे

शहीद- 1965

‘शहीद’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित फिल्म थी। यह भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी, जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। इस फिल्म में अमर शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ के गीत थे। मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फिल्म है।

आनंद मठ- 1952

1952 में आई फिल्म ‘आनंद मठ’ बंकिम चंद्र चटर्जी के नॉवल पर आधारित थी। फिल्म संन्यासी क्रांतिकारियों की आजादी की लड़ाई की कहानी थी जो 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों के खिलाफ हुई थी। इस फिल्म में ‘वंदे मातरम’ गीत का भी इस्तेमाल किया गया था।

बॉर्डर- 1997

फिल्म ‘बॉर्डर’ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित थी। इस फिल्म की कहानी एक सत्य घटना से प्रेरित थी. इस फिल्म में भारत-पाक युद्ध के समय लड़े गए लोंगेवाला युद्ध को विस्तार से समझाया गया है। फिल्म की कहानी 1971 मे हुए भारत-पाकिस्तान की लड़ाई से प्रेरित है, जहां राजस्थान में 120 भारतीय जवान सारी रात पाकिस्तान की टांक रेजिमेंट का सामना करते थे।

चिटगॉन्ग- 2012

2012 में आई फिल्म ‘चिटगॉन्ग’ 1930 के कम चर्चित वाक्या पर आधारित थी, जिसमें एक स्कूल मास्टर (मनोज वाजपेयी) की अनुवाई में स्कूल के बच्चे और जवान औरतें अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ जाते हैं। इंडियन हिस्‍ट्री में पहली बार एक आर्मी स्कूल के लड़के और उनके टीचर ब्रिटिश आर्मी को मात दे देते हैं।

गांधी- 1982

‘गांधी’ 1982 में बनी मोहनदास करमचंद गांधी के वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्म थी। फ़िल्म का निर्देशन रिचर्ड एटनबरोघ द्वारा किया गया है और इसमें बेन किंग्सले गांधी की भूमिका में है। इस फिल्म के लिए दोनों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

हकीकत- 1964

1964 में आई फिल्म ‘हकीकत’ ऐसे सैनिकों की टुकड़ी की कहानी थी, जो लद्दाख में भारत-चीन युद्ध के दौरान सोचते हैं कि उनकी मौत निश्चित है लेकिन उनमें से कुछ सैनिकों को कैप्टन बहादुर सिंह (धर्मेंद्र) बचाने में सफल हुए थे।

लक्ष्य- 2004

‘लक्ष्य’ 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित बॉलीवुड फिल्म थी। इसके अभिनेता ऋतिक रोशन, प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन, ओम पुरी और बोमन ईरानी हैं। ऋतिक लेफ्टिनेंट करण शेरगिल (बाद में कार्यवाहक कप्तान) की भूमिका में हैं, जो अपनी टीम का नेतृत्व कर आतंकवादियों पर जीत पाते हैं। यह 1999 के कारगिल युद्ध के संघर्ष की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक कहानी थी।

द लेजेंड ऑफ भगत सिंह- 2002

2002 में राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ में अजय देवगन भगत सिंह का किरदार निभाते नजर आए। फिल्म भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित थी जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ हमें विस्तार मे यह बताता है कि कैसे भगत सिंह ने ब्रितिश राज के खिलाफ और भरतीय स्वतंत्रता के प्रति अपने विचार और रुचि को विकसित किया।

मंगल पांडे: द राइजिंग- 2005

फिल्म ‘मंगल पांडे: द राइजिंग’ क्रांतिकारी मंगल पांडे की जिंदगी और उनके संघर्षों के इर्द-गिर्द घूमती है. मंगल पांडे को 1857 में ब्रिटिश ऑफीसरों पर हमले के लिए जाना जाता है और इसे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का आगाज भी माना जाता है। फिल्म में दर्शाया गया विद्रोह ‘भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम, ‘या’ सिपाही विद्रोह के रूप में जाना जाता है।

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