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सुप्रीम कोर्ट में हुई जमातियों को लेकर अहम सुनवाई, ब्लैकलिस्ट का क्या होता है मतलब

sc सुप्रीम कोर्ट में हुई जमातियों को लेकर अहम सुनवाई, ब्लैकलिस्ट का क्या होता है मतलब

उच्चतम न्यायालय सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित धार्मिक आयोजन

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित धार्मिक आयोजन में शामिल होने वाले विदेशियों को ब्लैकलिस्ट (काली सूची में डालना) किया गया है। अदालत ने केंद्र सरकार से इस संबंध में सूचना मांगी है। बता दें कि तब्लीगी जमात से जुड़े 30 देशों के 2500 नागरिकों को ब्लैकलिस्ट करते हुए इनका वीजा रद्द किया गया है।

ब्लैकलिस्ट करना क्या होता है

ब्लैकलिस्ट उन सभी भारतीय और विदेशी नागरिकों के नामों का संकलन है, जिनके खिलाफ गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया जाता है। विदेश मंत्रालय के विदेश विभाग द्वारा तैयार की गई सूची को सभी भारतीय राजनयिक मिशनों के साथ-साथ भारत के अंदर सभी आव्रजन चेक-प्वाइंट के साथ साझा किया जाता है ताकि कुछ व्यक्तियों के देश से बाहर निकलने या प्रवेश को रोका जा सके। जो या तो उनकी व्यक्तिगत क्षमता की वजह से या उनके किसी संगठन से जुड़े होने की वजह से होता है।

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ब्लैकलिस्ट करने के लिए एलओसी जारी करना होता है आवश्यक

किसी व्यक्ति या संगठन को ब्लैकलिस्ट में रखने के लिए एलओसी जारी करने की जरूरत होती है। यह केवल जांच अधिकारी या एजेंसी द्वारा लिखित अनुरोध के माध्यम से किया जा सकता है, जिसके लिए एमएचए द्वारा अधिसूचित अधिकारी से निवेदन करना होता है। जैसे कि केंद्र में उप सचिव या उससे ऊपर की रैंक, राज्य स्तर पर संयुक्त सचिव या उससे ऊपर की रैंक और कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों में अन्य समकक्ष रैंक के अधिकारी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि एक एलओसी को केवल भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों के खिलाफ जारी किया जा सकता है।

इसमें कौन होता है शामिल

ब्लैकलिस्ट कभी भी सार्वजनिक नहीं की जाती है। इसलिए जब तक कोई व्यक्ति देश में प्रवेश करने या जाने का प्रयास नहीं करता है तब तक उसे पता नहीं चलेगा कि वे ब्लैकलिस्ट में है या नहीं। वर्तमान में एमएचए की सूची में लगभग 30,000 लोग ब्लैकलिस्ट हैं। 2016 में यह संख्या 38,000 थी। इसमें 100 से अधिक सिख शामिल थे, जिन्हें 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के बाद ब्लैकलिस्ट किया गया था या उन्होंने विदेशों में राजनीतिक शरण मांगी थी।

ब्लैकलिस्ट की क्या है अवधि

ब्लैकलिस्ट की कोई अवधि नहीं होती है। तब्लीगी जमात के मामले में सरकार ने 2,550 विदेशों को ब्लैकलिस्ट किया है, जिन्हें कि 10 सालों तक भारत के अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। एक अन्य मामले में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि अगर किसी को प्रवेश से वंचित किया जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है। हर साल या छह महीने में इस ब्लैकलिस्ट की समीक्षा की जाती है।

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