बर्लिन। दूसरे विश्व युद्ध के जनक और दुनिया के सबसे क्रुर तानाशाह एडोल्फ हिटलर को अगर उस समय सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता दे दी जाती तो शायद दुनिया को दूसरा विश्व युद्ध नहीं देखना पड़ता और न ही दुनिया में नाजीवाद का उदय होता। ये बयान अबेरदीन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस वेबर ने सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक हैंस जॉर्ज के बयान से जुड़े एक तथ्य के आधार पर दिया है। इन दस्तवेजों को म्युनिख के इ्ंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी में सुरक्षित रखा गया है। थॉमस वेबर का दावा है कि हिटलर के तानाशाह बनने के पीछे सोशलिस्ट पार्टी में जगह न मिलना है।
थॉमस को मिले दस्तावेजों के मुताबिक साल 1919 में जब जर्मनी सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ था तब हिटलर पार्टी के विचारों से प्रभावित हो गए थे और इसका हिस्सा बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने पार्टी के प्रकाशन गृह में ग्रेसिंगर से भी मुलाकात की और पार्टी के साथ-साथ उसके मुख पत्र के लिए लिखने की इच्छा जताई, लेकिन ग्रेसिंगर ने हिटलर को पार्टी में शामिल करने से इनकार कर दिया और उन्हें पार्टी के मुखपत्र में भी कोई जगह नहीं दी।
ग्रेसिंगर ने हिटलर को पैसे देकर वहां से जाने के लिए कह दिया। ये वाक्य हिटलर को नागवार गुजरा और उसने अगले साल 1920 में ही एडोल्फ नाजी पार्टी बना दी, जिसका कद सोशलिस्ट पार्टी से काफी छोटा था। लेकिन 1921 आते-आते पूरी स्थिति बदल गई और सोशलिस्ट पार्टी भंग हो गई व हिटलर की पार्टी देश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। थॉमस के मुताबिक अगर हिटलर को सोशलिस्ट पार्टी में जगह मिल गई होती तो उसे पार्टी में कोई छोटा सा पद मिल गया होता और हिटलर आम नागिरक की तरह हमेशा के लिए इस दुनिया में खो जाता। नाजी पार्टी से जुड़ने के बाद हिटलर ने शुरू में तो छोटे पद पर काम किया, लेकिन बाद में साल 1921 में उसका कद पार्टी में बढ़ गया और फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।