आज करवा चौथ पर व्रत रखने वाली हर सुहागिन महिला चांद का दीदार करने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। चांद देखने के बाद ही वह अपना व्रत तोड़ती है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में किया जाता है। महिलाएं पति के मंगल एवं दीघार्यु की कामना के लिए निर्जला रहकर इस व्रत को रखती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा माना जाता है। आज करवाचौथ का व्रत अमृत सिद्धि योग एवं शिव योग में मनाया जा रहा है।
28 योगों में शिव योग
ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार आज मृगशिरा नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन 28 योगों में शिव योग आ रहा है। शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी। ऐसे योग में करवाचौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के पति की दीर्घायु देने वाला होता है।
कर लें ये तैयारी
सुहागिनें अपनी अपनी पूजा की थाली तैयार कर लें। करवाचौथ पर विधि-विधान से पूजा करने से लाभ मिलता है। व्रत रखने वाली महिलाएं लाल कपड़े पहनकर शाम को करवाचौथ व्रत की कथा सुनें। इसके बाद भगवान गणेश जी, शिव, पार्वती की पूजा करें। गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और फिर फूल चढ़ाएं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें।
पूजा की थली में क्या क्या रखे
व्रत खोलने के बाद पति और बड़ों का आशीर्वाद लें। चांद आने से पहले अपनी पूजा की थाली भी सजा लें। इसमें सभी आवश्यक चीजें रख लें। पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे होने चाहिए। एक लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूसरे लोटे के पानी से व्रत खोलें। पूजा की थाली में माचिस न रखें। चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को उसमें से देखें, फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें। पूजा के बाद चांद को देखकर पहले आप अपने पति को पानी पिलाएं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पिएं और मिठाई से अपना व्रत पूरा करें। इसके बाद आप बायना (खाना और कपड़े) निकालकर अपने बड़ों को दें और फिर खाना खाएं।
आज पूरे देश में मनाया जा रहा करवा चौथ का व्रथ, जाने क्यों सुहागनों के लिए होता है अहम