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आखिर क्या है येति मानव का ‘सच’, जानें पूरा इतिहास और सेना के जारी चित्र का मतलब

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नई दिल्ली। भारतीय सेना ने हिमालय पर खींची गई लंबे चौड़े रहस्‍यमय पदचिन्‍हों की तस्‍वीरें ट्विटर पर जारी करके दुनिया भर में लोगों की जिज्ञासा जगा दी है। सेना ने कहा है कि ऐसा लगता है कि मकालू बरुण नेशनल पार्क के नजदीक पाए गए 32×15 इंच वाले ये रहस्‍यमय पदचिन्‍ह पौराणिक हिममानव ‘येति’ के हैं। सेना की मानें तो मकालू बरुण नेशनल पार्क में कम दिखने वाला ऐसा हिममानव पहले भी देखा गया गया है। दरअसल, ऐसे विशालकाय हिममानव ‘येति’ को लेकर कई कहानियां लोगों के कौतूहल का केंद्र रही हैं। आइये जानते हैं ‘येति’ को लेकर कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य जो पहले भी लोगों की जिज्ञासा जगाते रहे हैं…

पहले भी आ चुकी है ऐसी तस्वीरें

ऐसा नहीं कि ‘येति’ के पद चिन्‍हों की तस्‍वीरें पहली बार सामने आई हैं। ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले साल 1951 में ब्रिटिश पर्वतारोही एरिक शिम्पटन को भी विशालकाय पैरों के निशान मिले थे जिसे उनहोंने अपने कैमरे में कैद कर लिया था। तब वह एवरेस्ट फतह करने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की तलाश पर निकले थे। उस समय भी इस हिमालयी मिथकीय प्राणी की मौजूदगी की चर्चाएं सुर्खियों में आ गई थीं।

नेपाली लोकगीतों में भी जिक्र

वर्षों तक ‘येति’ की मौजूदगी, उसके पैरों के निशान, उसके बाल आदि को लेकर कहानियां आती रहीं। इन सबके बावजूद इस विचित्र प्राणी की कोई तस्‍वीर सामने नहीं आई। नेपाली लोकगीतों में ‘येती’ का जिक्र एक बंदर जैसे हिममानव के तौर पर सामने आता है। इसे औसत इंसान की कद-काठी से लंबा बताया गया है। मान्‍यता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है।

बड़े पत्‍थर वाला हथियार लेकर चलता है…

19वीं शताब्दी से पूर्व ‘येति’ के बारे में मान्‍यता थी कि यह ग्‍लेशियरों में रहने वाला ऐसा आदिम प्राणी है जिसकी स्‍थानीय समुदाय के लोग पूजा करते थे। ऐसा कहा जाता है कि वानर जैसा यह जीव एक बड़े पत्‍थर वाला हथियार लेकर चलता है और सीटी जैसी आवाज निकालता है। 1920 के दशक से नेपाली पर्वतारोहियों के जेहन में हिमालय पर विचरण करने वाले इस झबरीले जीव की कहानियां घर कर गई थीं। पर्वतारोहियों में इस जीव को एकबार देख लेने की ललक भी रही।

हिमालयी क्षेत्र में अजब-गजब हैं ‘येति’ के नाम

हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस अजीब प्राणी को ‘येति’ या ‘मेह-तेह’ जैसे विभिन्‍न नामों से जानते रहे हैं। तिब्‍बती भाषा में इसे ‘मिचे’ कहा जाता है, जिसका अर्थ ‘मैन बीयर’ (man bear) होता है। तिब्‍बती लोग इसे ‘दजू-तेह’ भी बुलाते हैं, जिसका मतलब हिमालयी भालू होता है। इसके दूसरे नामों में ‘मिगोई’ (Tibetan for wild man), बून मिंची (नेपाली में जंगली मनुष्‍य), मिरका और कांग आदमी भी चर्चित हैं।

लद्दाख और नेपाल के बौद्ध मठों ने भी किए हैं दावे

लद्दाख के कुछ बौद्ध मठों का दावा है कि हिममानव ‘येति’ उन्होंने देखा है। जबकि वैज्ञानिकों ने इन हिम मानवों को ध्रुवीय एवं भूरे भालुओं की संकर नस्ल बताया है। सन 2013 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इस बारे में अध्‍ययन किया गया था। अध्‍ययन में कहा गया था कि हिमालय के हिम मानव, क्षेत्र में पाए जाने वाले भूरे भालुओं की उप-प्रजाति हो सकते हैं।  ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2011 में नेपाल के एक मठ में रखी गई अंगुली का वैज्ञानिकों ने डीएनए टेस्‍ट किया था। इस अंगुली के बारे में दावा किया गया था कि यह रहस्‍यमयी हिममानव ‘येति’ की है। लेकिन, जांच में पाया गया कि यह किसी इंसान की अंगुली है।

वैज्ञानिकों को कम ही मिले हैं सबूत

हिम मानव येति हिमालय में रहने वाला सबसे रहस्यमयी प्राणी है। कई दशक पहले इसे नेपाल और तिब्बत के हिमालय क्षेत्र में देखे जाने के दावे किए गए। हालांकि, इन दावों को लेकर वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं। इन दावों के पक्ष में कोई सबूत सामने नहीं आ पाए हैं। वैज्ञानिक समुदाय इन दावों को कपोल कल्पित बताता रहा है। अब तक वैज्ञानिक समुदाय को ‘येति’ की मौजूदगी के जो साक्ष्‍य ही मिले हैं, उनमें से कुछ पर साल 2017 में अंतरराष्‍ट्रीय शोधकर्ताओं के एक समूह ने शोध किया। हिमालयी क्षेत्र से जुटाए गए इन नमूनों के अध्‍ययन के निष्कर्षों में वैज्ञानिकों ने पाया था कि ये नमूने भालुओं से संबंधित थे।

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