नई दिल्ली। गुजरात में तमाम पार्टी और नेताओं का गणित बिगाड़ने वाले हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली, हाई कोर्ट से उनकी सजा संबंधी रोग से इंकार करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन आज उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी। 2015 में गुजरात के मेहसाणा में दंगा भड़काने के मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका पर शीर्ष अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की है। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका को रद्द कर दिया था।
पीपल्स रिप्रजेंटेटिव ऐक्ट, 1951 के मुताबिक हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस कानून के तहत दो साल या इससे अधिक की सजा पाए नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे 25 साल के हार्दिक पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने के बाद जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी।
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से टिकट का भी आग्रह किया था, लेकिन हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी तैयारियों पर पानी फेर दिया है। जामनगर लोकसभा सीट पर नामांकन के लिए 4 अप्रैल आखिरी तारीख है, ऐसे में शीर्ष अदालत की ओर से मामले की सुनवाई से इनकार से साफ है कि हार्दिक अब चुनावी समर में नहीं उतर सकेंगे।
गौरतलब है कि मेहसाणा जिले के सेशन कोर्ट ने 2015 में विसनगर में पाटीदार आंदोलन के दौरान हुए दंगे और आगजनी के मामले में हार्दिक पटेल को दोषी करार दिया था। बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में हार्दिक पटेल और उनके साथियों को दो साल की सजा सुनाई गई थी।